हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का एक विशेष महत्व होता है। हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। ठीक ऐसे ही सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी, मां संतोषी और शुक्र ग्रह से जुड़ा हुआ होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि, वैवाहिक सुख और आर्थिक स्थिरता आती है। शुक्रवार का व्रत खासतौर पर महिलाएं रखती हैं लेकिन पुरुष भी इसे कर सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं शुक्रवार व्रत के लाभ और धार्मिक महत्व के बारे में।
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। मां लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन व्रत रखकर सच्चे मन से मां लक्ष्मी की आराधना करता है, तो उसके जीवन से दरिद्रता दूर होती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा, कई लोग इस दिन मां संतोषी का भी व्रत करते हैं। मां संतोषी को संतोष और शांति की देवी माना जाता है। उनकी कृपा से पारिवारिक कलह दूर होते हैं और घर में शांति बनी रहती है।
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को प्रेम, सौंदर्य, भौतिक सुख-सुविधाएं और वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है। जिन लोगों की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, उन्हें जीवन में प्रेम, विवाह, सौंदर्य या आर्थिक मामलों में परेशानी आती है। इसके साथ ही, अगर आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर स्थिति में हो तो इस दिन आपको व्रत जरूर रखना चाहिए। क्योंकि शुक्रवार का व्रत शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए फायदेमंद माना जाता है।
शुक्रवार के दिन व्रत करने के लिए प्रातः स्नान करके स्वच्छ सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनें। व्रत का संकल्प लें और घर में मां लक्ष्मी या मां संतोषी की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं। सफेद फूल और मिठाई (खीर या बर्फी) चढ़ाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मां संतोषी के व्रत में खट्टी चीजें जैसे नींबू, दही, इमली आदि का सेवन न करें। दिनभर फलाहार करें या एक समय भोजन करें। शाम को पुनः पूजा करें और संबंधित व्रत कथा का पाठ करें। अगले दिन व्रत खोलते समय गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान करें।
शुक्रवार का व्रत करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिलते हैं। इस व्रत से घर में आर्थिक समृद्धि आती है और दरिद्रता दूर होती है। पति-पत्नी के संबंधों में प्रेम बढ़ता है और वैवाहिक जीवन सुखद बनता है। विवाह में आ रही अड़चन दूर होती हैं। जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही हो, उनके लिए भी यह व्रत लाभकारी माना गया है। मानसिक रूप से भी यह व्रत शांति और संतोष प्रदान करता है।
शुक्रवार का व्रत पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करना चाहिए। व्रत के दिन मन और वाणी पर संयम रखें और दूसरों को नुकसान न पहुंचाएं। व्रत के बाद दान अवश्य करें, विशेषकर कन्याओं या महिलाओं को सफेद वस्त्र, मिठाई या चने का प्रसाद दें। यह व्रत दिखावे के लिए नहीं बल्कि सच्ची श्रद्धा से करना चाहिए, तभी इसका फल मिलता है।
चलती है सारी श्रष्टी,
महाकाल के दर से ॥
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना
बिना राम रघुनंदन के,
कोई नहीं है अपना रे,
छम छम नाचे हनुमान,
बजे रे पग पैजनिया,