यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,
दुखहारी हरी, दुखिया जन के,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥
जिस अंग की शोभा सुहावनी है,
जिस श्यामल रंग में मोहनी है,
उस रूप सुधा से स्नेहियों के,
दृग प्याले भरेगें कभी ना कभी ॥
जहां गिद्ध निषाद का आदर है,
जहाँ व्याध अजामिल का घर है,
वही भेष बनाके उसी घर में,
हम जा ठहरेगें कभी ना कभी ॥
करुणानिधि नाम सुनाया जिन्हें,
कर्णामृत पान कराया जिन्हें,
सरकार अदालत में ये गवाह,
सभी गुजरेगें कभी ना कभी ॥
हम द्वार में आपके आके पड़े,
मुद्दत से इसी है जिद पर अड़े,
भव-सिंधु तरे जो बड़े से बड़े,
तो ये ‘बिन्दु’ तरेगें कभी ना कभी ॥
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,
दुखहारी हरी, दुखिया जन के,
दुख क्लेश हरेगें कभी ना कभी ॥
कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण शाही स्नान होता है। जिसमें सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
12 जनवरी से प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत हो रही है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है, जिसमें पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं।
सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान की पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
देवों के देव महादेव को भांग बेहद प्रिय है। जब भी भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है, तो उन्हें भांग जरूर चढ़ाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अगर भगवान शिव की पूजा में भांग न हो, तो पूजा अधूरी मानी जाती है।