तुम कालों के काल,
बाबा मेरे महाकाल ॥
दोहा – उज्जैन नगरी स्वर्ग है,
बैठे राजाधिराज महाराज,
हर भक्त यहाँ होता निहाल,
यहाँ कण कण में महाकाल ॥
तुम कालों के काल,
बाबा मेरे महाकाल,
दुनिया भी जाने तू है,
कालों का काल,
कालों का काल,
डरे तुझसे भी काल,
ओ मेरे महाकाल,
तुम कालो के काल,
बाबा मेरे महाकाल,
बाबा मेरे महाकाल ॥
दुनिया दीवानी है तेरी,
शान भी निराली है,
डरते नहीं भगत,
चाहे रात काली है,
चाहे रात काली है,
सारे नंदी साथ साथ,
डमरू त्रिशूल एक हाथ,
सारे ही मस्ती में नाचे,
नाचे महाकाल,
डरे तुझसे भी काल,
ओ मेरे महाकाल,
तुम कालो के काल,
बाबा मेरे महाकाल,
बाबा मेरे महाकाल ॥
जब तक सिर पर,
हाथ शंभू नाथ का,
डर किस बात का,
मैं बंदा महाकाल का,
मैं बंदा महाकाल का,
गले नीलकंठ है,
सिर पर त्रिपुंड है,
तन पर बाघम्बर और,
गले मुंड माल,
डरे तुझसे भी काल,
ओ मेरे महाकाल,
तुम कालो के काल,
बाबा मेरे महाकाल,
बाबा मेरे महाकाल ॥
कर्ता करे न कर सके,
शिव करे सो होय,
तीन लोक नौ खंड में,
महाकाल से बड़ा न कोय।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे,
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धना,
न्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
तुम कालों के काल,
बाबा मेरे महाकाल,
दुनिया भी जाने तू है,
कालों का काल,
कालों का काल,
डरे तुझसे भी काल,
ओ मेरे महाकाल,
तुम कालो के काल,
बाबा मेरे महाकाल,
बाबा मेरे महाकाल ॥
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह भगवान की पूजा करने की परंपरा है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा की परंपरा है।
होलाष्टक फागुन मास के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक मनाया जाता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार ये 8 दिन किसी शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माने जाते I
होलाष्टक की तिथि शुभ कार्य के लिए उचित नहीं मानी जाती है, इन तिथियों के अनुसार इस समय कुछ कार्य करने से सख्त मनाही होती है। क्योंकि इन्हीं दिनों में भक्त प्रह्लाद पर उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत अत्याचार किया था।