होलाष्टक फागुन मास के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक मनाया जाता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार ये 8 दिन किसी शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माने जाते, मगर कुछ उपाय करने से इन दिनों में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक का समय दान-पुण्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस समय आप गरीबों को अनाज, कपड़े, गुड़, तिल, मसाले जैसे हल्दी, नमक और धन का दान करें। जिससे स्वाभाव में धन लाभ होता है और अनाज की जीवन में कभी कमी नहीं होती है।
होलाष्टक के 8 दिनों में कुछ पूजा विधि के उपाय करने से नया साल बहुत शुभ होता है, और इससे ग्रह दोष कट जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस समय में अगर विधिवत् रूप से आप अपने कुल देव या घर के देवता का नामजप और पूजा करें, साथ ही हनुमान जी, जिन्हें कलयुग के देवता भी माना जाता है, की पूजा करें। रोज 8 दिन तक हनुमान चालीसा का जाप करने से रोग कम हो जाता है क्योंकि प्रभु हनुमान शक्ति और भक्ति के लिए जाने जाते हैं।
पुराणिक कथाओं के अनुसार होली के समय ही भक्त प्रह्लाद को भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया था और उसे जलती आग से बचाया था, इसलिए इस समय विष्णु पूजन का बहुत महत्व है:
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भारत में विभिन्न त्योहारों और व्रतों का महत्व है, जिनमें से एक जीवित्पुत्रिका व्रत है। इसे जीतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए रखती हैं।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। पूरे साल में 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं, जिनमें से सितंबर माह में दो महत्वपूर्ण एकादशी हैं: परिवर्तिनी एकादशी और इंदिरा एकादशी।