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तू शब्दों का दास रे जोगी - भजन (Tu Sabdon Ka Das Re Jogi)

तू शब्दों का दास रे जोगी - भजन (Tu Sabdon Ka Das Re Jogi)

॥ दोहा ॥

सबदा मारा मर गया,

सबदा छोडियो राज ।

जिन जिन सबद विचारिया,

वा रा सरिया काज ।


॥ तू शब्दों का दास रे जोगी ॥

तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


राम नहीं तू बन पायेगा,

क्यूं लेता वनवास रे जोगी ॥


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


ये सांसों का बन्दी जीवन,

इसको आया रास रे जोगी ॥


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


देखना इतना ऊपर जाओ,

ऊँचा है आकाश रे जोगी ।


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


एक दिन विष का प्याला पीजा,

फिर ना लगेगी प्यास रे जोगी ।


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।


भर आई थी मन कीआँखें,

बह रही हर एक आस रे जोगी ॥


तू शबदों का दास रे जोगी,

तेरा क्या विश्वास रे जोगी ।

तू शब्दों का दास रे जोगी ।

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षटतिला एकादशी पर ना करें ये काम

षटतिला एकादशी भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

षटतिला एकादशी में तुलसी का महत्व

हिंदू धर्म में पूरे साल में आने वाली सभी 24 एकादशियों में से प्रत्येक को विशेष माना जाता है। उन्हीं में से एक षटतिला एकादशी है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी कहते हैं।

षटतिला एकादशी: विष्णु और नारद प्रसंग

हिंदू धर्म में, यूं तो प्रत्येक एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पर षटतिला एकादशी उन सब में भी विशेष मानी जाती है। 2025 में, षटतिला एकादशी का व्रत 25 जनवरी को है। इस दिन पूजा और व्रत करने से साधक को मोक्ष प्राप्त होती है।

षटतिला एकादशी व्रत कथा

सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पंचांग के अनुसार, माघ महीने की एकादशी तिथि को ही षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के संग मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने से का विधान है।

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