तेरे द्वार खड़ा,
तेरे द्वार खडा,
मैं हार गया हूँ मेरे श्याम,
मैं हार गया हूँ मेरे श्याम,
तेरे द्वार खडा,
तेरे द्वार खडा,
नहीं कोई ठिकाना है दुनिया में,
तेरे दर के सिवा मेरे श्याम,
तेरे दर के सिवा मेरे श्याम,
तेरे द्वार खडा,
तेरे द्वार खडा ॥
हारा हूँ मैं मेरे कर्मो के कारण,
थमता नहीं है आँखों से सावन,
मेरी अटकी भंवर बिच नैया,
खाए हिचकोले श्याम,
खाए हिचकोले श्याम,
हे श्याम हे श्याम,
तेरे द्वार खडा,
तेरे द्वार खडा ॥
लायक नहीं तेरे द्वार के बाबा,
पर मैं करूँ क्या समझ ना आता,
मेरे पापों की गिनती बड़ी है,
तुझे सब है पता मेरे श्याम,
हे श्याम हे श्याम,
तेरे द्वार खडा,
तेरे द्वार खडा ॥
सुनकर मैं चर्चा दर तेरे आया,
परिवार लाखों का तूने चलाया
करो मुझपे रहम मेरे बाबा,
पकड़ो मेरी बाहें श्याम,
पकड़ो मेरी बाहें श्याम,
हे श्याम हे श्याम,
तेरे द्वार खडा,
तेरे द्वार खडा ॥
तेरे द्वार खड़ा,
तेरे द्वार खडा,
मैं हार गया हूँ मेरे श्याम,
मैं हार गया हूँ मेरे श्याम,
तेरे द्वार खडा,
तेरे द्वार खडा,
नहीं कोई ठिकाना है दुनिया में,
तेरे दर के सिवा मेरे श्याम,
तेरे दर के सिवा मेरे श्याम,
तेरे द्वार खडा,
तेरे द्वार खडा ॥
कुंभ जैसे विशेष अवसरों पर दिखने वाले नागा साधु कुंभ समाप्त होते ही अचानक कहां गायब हो जाते हैं? यह एक रहस्यमयी प्रश्न है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान तीनों अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं, और अब अखाड़ों का खाली होना शुरू हो गया है।
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। यह आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है।
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सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इनमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि विशेष धूमधाम से मनाई जाती हैं। साल में कुल चार नवरात्रियां पड़ती हैं—दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त। नवरात्रि माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन मास में आती हैं।