श्याम खाटू वाले से,
मेरी पहचान हो गई,
मुश्किल बड़ी थी मेरी,
मंजिल आसान हो गई,
श्याम खाटू वालें से,
मेरी पहचान हो गई ॥
जो हार के दर पे आया,
बाबा की शरण वो पाया,
इनका शुकर मनाये हम,
दर पे सर झुकाए हम
देखके इनकी दातारी,
मैं हैरान हो गई,
श्याम खाटू वालें से,
मेरी पहचान हो गई ॥
पिछले जनम के अच्छे करम,
हो गया अपना श्याम मिलन,
भक्तों के अरमा मचले,
ख़ुशी के आंसू निकले,
इनकी दया से अपनी,
आन बान शान हो गई,
श्याम खाटू वालें से,
मेरी पहचान हो गई ॥
इनका सर पे हाथ रहे,
हर पल इनका साथ रहे,
प्रेम का धागा टूटे ना,
बाबा हमसे रूठे ना,
‘चोखानी’ कहे ‘अंजलि’ तेरी,
थोड़ी पहचान हो गई,
श्याम खाटू वालें से,
मेरी पहचान हो गई ॥
श्याम खाटू वाले से,
मेरी पहचान हो गई,
मुश्किल बड़ी थी मेरी,
मंजिल आसान हो गई,
श्याम खाटू वालें से,
मेरी पहचान हो गई ॥
प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित तिथि है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत का वर्णन और महत्व धार्मिक ग्रंथों और पंचांग में बताया गया है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। दरअसल, यह व्रत देवाधिदेव महादेव शिव को ही समर्पित है। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।
गुरु प्रदोष व्रत को भगवान शिव की पूजा और विशेष रूप से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
विवाह एक पवित्र और 16 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जो दो आत्माओं को जोड़ता है। लेकिन कई बार वैवाहिक जीवन में समस्याएं और बाधाएं आ जाती हैं, जो जीवन को कठिन बना देती हैं। ऐसे में प्रदोष व्रत एक शक्तिशाली तरीका है, जो विवाह की बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।