आज बड़ा ही शुभ दिन,
मंगलाचार सुनाओ रे,
राम लला जन्मे है,
थाल बजाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
दशरथ के अंगना में भाई,
गूंज रही किलकारी,
खुशियां मना रही है देखो,
आज अयोध्या सारी,
राम लला के जनमदिवस पर,
खुशियां मनाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
महाराजा दशरथ को,
है सबसे पहले बधाई,
मात कौशल्या लेवे बलैया,
फूली नहीं समाई,
मिल जाए नजराना हमको,
झोली फैलाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
ऋषि मुनि आए है,
अब नाम करण करने को,
इतनी भीड़ लगी है देखो,
पाँव नहीं धरने को,
राम नाम रखा है इनका,
सबको बताओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
मैया कबसे खड़े है,
हमको भी दर्श करवा दे,
राम लला की प्यारी सूरत,
एक झलक दिखला दे,
देंगे दुआएं ‘बनवारी’,
ना हमसे छुपाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
आज बड़ा ही शुभ दिन,
मंगलाचार सुनाओ रे,
राम लला जन्मे है,
थाल बजाओ रे,
राम लला जन्में है,
थाल बजाओ रे ॥
जब शनिवार और त्रयोदशी तिथि एक साथ आती है तो उसे शनि त्रयोदशी कहते हैं। यह एक खास दिन होता है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है।
शनि देव 9 ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलने वाले ग्रह हैं। इसी कारण शनि देव 1 राशि में साढ़े सात साल तक विराजमान रहते हैं। इसी वजह से ही राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चलती है।
शनि त्रयोदशी का पर्व शनि देव की पूजा और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सही तरीके से पूजा करने और खास भोग अर्पित करने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से घर में खुशहाली आती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।