ओ शंकर भोले,
जपती मैं तुमको हरदम,
दें दो सुन्दर कोई जतन,
जिससे फिर मिल जायें हम,
ओ शंकर भोलें ॥
त्रेता युग में भूल हुई थी,
जाँचा था रामजी को,
त्रेता युग में भूल हुई थी,
जाँचा था रामजी को,
रूप सीता का लिया,
त्यागे मुझको ही शिवा,
ऐसे बीता मेरा वो जनम,
ओ शंकर भोलें ॥
दक्ष पिता जब बने घमंडी,
भूले सती अरु शिव को,
दक्ष पिता जब बने घमंडी,
भूले सती अरु शिव को,
जब मैं वेदी को चली,
सबमें आयी खलबली,
जला अग्नी में मेरा बदन,
ओ शंकर भोलें ॥
पारवती के रूप में जन्मी,
आऊँगी तेरे ही आँगन,
पारवती के रूप में जन्मी,
आऊँगी तेरे ही आँगन,
तेरी पूजा मैं करूँ,
काम दूजा न करूँ,
तुझपे वारूंगी अपना ये तन,
ओ शंकर भोलें ॥
शिवरात्रि के शुभ अवसर पर,
आये शंभु बराती,
शिवरात्रि के शुभ अवसर पर,
आये शंभु बराती,
ताने लोगों से मिले,
वर जोगी से मिले,
सारे संसार के भगवन हो,
ओ शंकर भोलें ॥
ओ शंकर भोले,
जपती मैं तुमको हरदम,
दें दो सुन्दर कोई जतन,
जिससे फिर मिल जायें हम,
ओ शंकर भोलें ॥
हिंदू धर्म के महान ऋषि और भगवान विष्णु के परम भक्त, नारद मुनि की जयंती को 'नारद जयंती' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन वैषाख मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पड़ता है, जो इस साल 13 मई को है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वृषभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है, जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। वृषभ संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं।
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।
हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसे विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दक्षिण भारत के अन्य क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जी के जन्म की कई कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन तेलुगु समाज में इसे वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाने की परंपरा है।