ओ मैया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई,
पर जितना किया तुमने,
करता नहीं कोई,
ओ मईया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई ॥
जब जब भी दिल मेरा,
उदास होता है,
तू मेरे पास खड़ी,
अहसास होता है,
ढूंढा तेरे जैसा माँ,
मिलता नहीं कोई ॥
कोई भी मुसीबत को,
ना पास भटकने दे,
बेटे की अँखियों से,
ना आंसू टपकने दे,
आँचल तेरे जैसा माँ,
रखता नहीं कोई ॥
जब जब भी पुकारूँ मैं,
जब भी फरियाद करूँ,
मुझे ऐसा लगता है,
तुमको नाराज करूँ,
वो गलती करता हूँ जो,
करता नहीं कोई ॥
‘बनवारी’ प्यार मेरा,
पहचानता नहीं,
मेरी गोद में बैठा है,
तू जानता नहीं,
गोदी में किसी को यूँ ही,
रखता नहीं कोई,
ये मत कहना तू मेरा,
लगता नहीं कोई,
माँ जितना किया तुमने,
करता नहीं कोई ॥
ओ मैया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई,
पर जितना किया तुमने,
करता नहीं कोई,
ओ मईया मैं तुम्हारा,
लगता नहीं कोई ॥
राम नाम के साबुन से जो,
मन का मेल भगाएगा,
हिंदू धर्म में सफला एकादशी एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। यह पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है।
साल 2024 में दिसंबर महीने में पड़ने वाली दूसरी एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। सफला एकादशी पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। देवी रुक्मिणी मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थीं।