नाम मेरी राधा रानी का जिस जिस ने गाया है,
बांके बिहारी ने उसे अपना बनाया है,
जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥
नाम मेरी राधा रानी का सदा देता सहारा है,
तू भी एक बार जप ले यह नाम बड़ा प्यारा है,
जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥
राधा राधा नाम वाली फेरी जिसने माला है,
उस पर रीझ गया मेरा मुरली वाला है जय राधे,
जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥
राधा राधा नाम का तो हुआ पागल जमाना है,
प्यारा तीनों लोको से श्री जी का बरसाना है,
जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥
राधा राधा नाम वाली चढ़ गई हमें मस्ती है,
हर्षित' पे कृपा राधा रानी की बरसती है,
जय राधे जय राधे जय श्री राधे बोलो जय राधे ॥
हिंदू धर्म के अनुसार सप्ताह के सात दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है। इन मान्यताओं के अनुसार हम प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता की पूजा आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।
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सनातन परंपरा के अनुसार संसार में अब तक चार युग हुए हैं। इन चार युगों को सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलि युग कहा गया है। संसार का आरंभ सतयुग से हुआ। त्रेता युग में विभिन्न देवताओं ने विभिन्न अवतारों के साथ धर्म की रक्षा की। इसमें प्रमुख रूप से रामावतार में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना की और पापियों का नाश किया।
त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया। रामावतार श्री हरि विष्णु के परमावतारों में से एक है। श्री राम अवतार में भगवान ने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में सांसारिक लीलाएं की और रावण का वध कर संसार को पापों से मुक्ति दिलाई और धर्म की स्थापना की।