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मीठे रस से भरीयो री, राधा रानी लागे(Mithe Ras Se Bharyo Ri Radha Rani Lage)

मीठे रस से भरीयो री, राधा रानी लागे(Mithe Ras Se Bharyo Ri Radha Rani Lage)

मीठे रस से भरीयो री,

राधा रानी लागे।


श्लोक:

राधा तू बड़भागिनी,

और कौन तपस्या किन,

तीन लोक के स्वामी है,

राधा सब तेरे आधीन ।

मीठे रस से भरीयो री,

राधा रानी लागे,

महारानी लागे,

मने कारो कारो,

जमुना जी रो पानी लागे ॥


यमुना मैया कारी कारी,

राधा गोरी गोरी,

वृन्दावन में धूम मचावे,

बरसाने की छोरी,

ब्रजधाम राधा जु की,

रजधानी लागे,

महारानी लागे,

मने कारो कारो,

जमुना जी रो पानी लागे ॥


ना भावे अब माखन मिसरी,

और ना कोई मिठाई,

जीबड़या ने भावे अब तो,

राधा नाम मलाई,

वृषभानु की लली तो,

गुड़धानी लागे,

गुड़धानी लागे,

मने कारो कारो,

जमुना जी रो पानी लागे


कान्हा नित मुरली मे टेरे,

सुमरे बारम्बार,

कोटिन रूप धरे मनमोहन,

कोई ना पावे पार,

राधा रूप की अनोखी,

पटरानी लागे,

महारानी लागे,

मने कारो कारो,

जमुना जी रो पानी लागे ॥


राधा राधा नाम रटत है,

जो नर आठों याम,

उनकी बाधा दूर करत है,

राधा राधा नाम,

राधा नाम मे सफल,

जिंदगानी लागे,

जिंदगानी लागे,

मने कारो कारो,

जमुना जी रो पानी लागे ॥


मीठे रस से भरयो री,

राधा रानी लागे,

महारानी लागे,

मने कारो कारो,

जमुना जी रो पानी लागे ॥

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देव उठनी एकादशी व्रत कथा

देव उठनी ग्यारस पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागकर एक बार फिर संसार के संचालन में लीन हो जाते हैं। इस दिन चातुर्मास भी खत्म होता है और सभी मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।

देव उठनी ग्यारस पर थाली-सूप बजाने की परंपरा

एकादशी तिथि को भगवान श्री विष्णु की पूजा के लिए बेहद ही शुभ माना गया है। इसमें भी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देव उठनी एकादशी का महत्व और अधिक है।

देव प्रबोधिनी एकादशी नाम कैसे हुआ?

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी होती है। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है।

देव उठनी एकादशी पर निषेध काम

शास्त्रों के अनुसार देव उठनी एकादशी भगवान् श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ट दिन है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है।

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