मेरी वैष्णो मैया,
तेरी महिमा अपरम्पार,
कलियुग में हर प्राणी के,
कलियुग में हर प्राणी के,
पापो का करो उद्धार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
हर एक प्राणी परलोक सवारे,
तेरे चरण में अपने पाप उतारे,
हर एक प्राणी परलोक सवारे,
तेरे चरण में अपने पाप उतारे,
करुणामई तू सबके पापो,
का करती संहार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,
तूने प्रेम अपना सारे भक्तो पे लूटाया,
ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,
श्रीधर सेवक को तूने गले से लगाया,
धन्य है तेरी कृपा मैया,
धन्य है तेरा प्यार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,
कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,
उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,
कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,
तेरे दर्शन मात्र से मैया,
सुख पाए संसार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,
कायम रख सके भक्त की गरिमा,
ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,
कायम रख सके भक्त की गरिमा,
‘देवेंद्र’ ‘कैलाश’ की माँ है,
हृदय से ये पुकार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
मेरी वैष्णो मैया,
तेरी महिमा अपरम्पार,
कलियुग में हर प्राणी के,
कलियुग में हर प्राणी के,
पापो का करो उद्धार,
मेरी वैष्णो मईया,
तेरी महिमा अपरम्पार ॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसी कारण से हर वर्ष इस तिथि को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन भक्त श्रद्धा पूर्वक पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का काफी महत्व है। चतुर्थी का पर्व शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इस बार विनायक चतुर्थी 1 फरवरी 2025 को है। यह दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।