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मेरी मैया तू एक बार आजा, दर्श दिखा जा(Meri Maiya Tu Ek Baar Aaja Darsh Dikha Jaa)

मेरी मैया तू एक बार आजा, दर्श दिखा जा(Meri Maiya Tu Ek Baar Aaja Darsh Dikha Jaa)

मेरी मैया तू एक बार आजा,

हाँ दर्श दिखा जा,

खड़े है इंतजार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में ॥


पहले भी माँ को हमने,

खूब मनाया,

मानेगी माँ मानेगी,

भजनो को गाके हमने,

खूब सुनाया,

जानेगी माँ जानेगी,

मेरे प्यासे नैना तरसे,

कब आएगी दर पे,

किया तूने उद्धार मेरा मैया,

पडूँ तेरे पईया,

खड़े है इंतजार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में ॥


सोचा था माँ के,

हम दरबार जाएं,

जाएंगे माँ जाएंगे,

झोली को माँ के,

दर से भर लाए,

लायेंगे माँ लायेंगे,

मेरी मैया मेरी नैया,

पार करोगी नैया,

शेरोवाली जगत रखवाली,

ओ मेहरोवाली,

खड़े है इंतजार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में ॥


मेरी अरदास सुनले,

हे माँ जगदम्बे,

जय अम्बे जय जगदम्बे,

हाथ जोड़ कर,

नमन करे हम,

जय दुर्गे जय जगदम्बे,

हे माँ भवानी दे दो निशानी,

पूरण करो कहानी,

मैं तो आया द्वार तेरे मैया,

पाऊं तेरी छैया,

खड़े है इंतजार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में ॥


मेरी मैया तू एक बार आजा,

हाँ दर्श दिखा जा,

खड़े है इंतजार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में,

हाथ जोड़े हम तेरे दरबार में ॥

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शनि जयंती के यम-नियम

शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी।

Jyeshtha Amavasya 2025 (ज्येष्ठ अमावस्या 2025 कब है)

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और शांति के उपायों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यूं तो साल में आने वाली सभी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता हैI

ज्येष्ठ अमावस्या के उपाय

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की अमावस्या का विशेष महत्व है और जब यह तिथि सोमवार को आती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें तर्पण देने का सबसे श्रेष्ठ अवसर होता है।

ज्येष्ठ अमावस्या स्तोत्र पाठ

हिंदू पंचांग में हर अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह दिन पितृों की शांति के लिए, आत्मिक शुद्धि के लिए और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्तम माना गया है।

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