मेरा हाथ पकड़ ले रे,
कान्हा दिल मेरा घबराये,
काले काले बादल,
गम के बादल,
सिर पे मेरे मंडराये,
॥ मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा...॥
अगर मेरे वश में,
होता कन्हैया,
तो पार लगाता मैं,
खुद अपनी नैया,
यहाँ वहाँ रखूं,
जहाँ जहाँ रखूं,
पाँव फिसलता जाये,
॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥
अगर आना है तो,
आजा कन्हैया,
पार लगा जा,
बन के खिवैया,
धीरे धीरे करके,
थोड़ा थोड़ा करके,
वक्त गुजरता जाये रे,
॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥
नहीं आना हो तो,
खबर भेजे देंना,
हालत उठाकर,
नज़र देख लेना,
कही ऐसा ना हो,
तेरे भरोसे,
बनवारी रह जाये रे,
॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥
मेरा हाथ पकड़ ले रे,
कान्हा दिल मेरा घबराये,
काले काले बादल,
गम के बादल,
सिर पे मेरे मंडराये रे,
॥मेरा हाथ पकड़ लें रे, कान्हा..॥
मेरा हाथ पकड़ ले रे,
कान्हा दिल मेरा घबराये,
काले काले बादल,
गम के बादल,
सिर पे मेरे मंडराये
कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा जो सुबह 6:20 बजे से शुरू होकर मध्यरात्रि 2:59 बजे समाप्त होगा।
हिंदू धर्म के अनुसार सप्ताह के सात दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है। इन मान्यताओं के अनुसार हम प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता की पूजा आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।
सुबह ही क्यों की जाती है भगवान की पूजा, जानिए पूजा के पांच समय
सनातन परंपरा के अनुसार संसार में अब तक चार युग हुए हैं। इन चार युगों को सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलि युग कहा गया है। संसार का आरंभ सतयुग से हुआ। त्रेता युग में विभिन्न देवताओं ने विभिन्न अवतारों के साथ धर्म की रक्षा की। इसमें प्रमुख रूप से रामावतार में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना की और पापियों का नाश किया।