तेरे चरणों में शीश मैं झुकाऊं,
तेरे ही गुण गाऊं,
ओ माता मेरी लाज रख ले,
लाज रख ले,
और किसके द्वारे पे मैं जाऊं,
मैया जी मेरी लाज रख ले ओ माँ ॥
मिलता नहीं जो कहीं,
सारे संसार में,
मिलता है वो तेरे,
सच्चे दरबार में,
तेरे भरे हैं भंडारे शेरोवाली,
तू जग से निराली,
है पूजे संसार तुझको,
संसार तुझको मैया,
ऊंचे ओ पहाड़ों वाली
है पूजे संसार तुझको मेरी माँ ॥
तेरी ज्योत का है,
उजियारा कण कण में,
तू ही करे दूर अंधियारा,
एक क्षण में,
बुझे दिलों को तू,
रोशन करे है,
जो दुखों से भरे है,
माँ उनको तू देती है खुशी,
देती है खुशी जोतवालिये,
तू झोलियां भरे है मेरी माँ ॥
आया लेके आस मैया,
मैं भी तेरे द्वार पे,
बालक नादान पे तू,
कर उपकार दे,
मुख बालकों से,
कभी ना माँ मोड़े,
ना वादा कभी तोड़े,
माँ करती है प्यार सबको,
प्यार सबक कभी बीच,
मझधार में ना छोड़े,
माँ करती है प्यार सबको मेरी माँ ॥
करूँ मैं आराधना,
सवेरे शाम तेरी माँ,
हो के तू दयाल,
बेड़ी पार कर मेरी माँ,
तेरे द्वार से,
जाऊंगा ना मैं खाली,
ओ मेहरोवाली,
माँ सुन ले तू मेरी विनती,
मेरी विनती खड़ा दर पर,
है लख्खा ये सवाली,
माँ सुन ले तू मेरी विनती ओ माँ ॥
तेरे चरणों में शीश मैं झुकाऊं,
तेरे ही गुण गाऊं,
ओ माता मेरी लाज रख ले,
लाज रख ले,
और किसके द्वारे पे मैं जाऊं,
मैया जी मेरी लाज रख ले ओ माँ ॥
महाकुंभ मेला हर 12 साल में भारत के चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में आयोजित किया जाता है। साल 2025 में यह दिव्य आयोजन प्रयागराज में होगा, जो लगभग 30 से 45 दिनों तक चलेगा।
महाकुंभ की शुरुआत में अब केवल 15 दिन से भी कम का समय बचा है। इससे पहले, विभिन्न अखाड़े प्रयागराज में अपनी पेशवाई निकाल रहे हैं और नगर में प्रवेश कर रहे हैं। कई अखाड़ों ने अपनी पेशवाई पूरी कर ली है, जिन्हें देखने के लिए प्रयाग का वातावरण उमड़ पड़ा है।
प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, और साधु-संतों का आगमन शुरू हो चुका है। 13 जनवरी से कल्पवासी भी आने लगेंगे, और यह महाकुंभ 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान संगम किनारे करोड़ों श्रद्धालु 45 दिनों तक कल्पवास करेंगे।
हमारे देश में एक पुरानी कहावत है, "झूठे मुंह मंदिर नहीं जाना चाहिए।" इसका मतलब है कि झूठन मूंह वाले को भगवान के मंदिर में नहीं जाना चाहिए। ये बात हमारी धर्म और संस्कृति से जुड़ी हुई है। जब हम मंदिर जाते हैं तो भगवान से मिलने जाते हैं।