मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
मैं तो हरी हरी दूब चरा करती,
मैं तो जमुना का नीर पिया करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुण के,
खूब उगाळा करती ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
मेरा राधा दूध निकाला करती,
मैं छह सर दूध दिया करती,
वा राधा खीर बनाया करती,
वा ते सबते पहले हे,
मैंने ही चखाया करती ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो नन्द गाँव में जाया करती,
हुड़े दूध गुजरी बिलोया करती,
हुड़े कृष्ण भोग लगाया करता,
वो तो सबते पहल्या हे,
मैंने ही जिमाया करता ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो वृन्दावन में जाया करती,
हुड़े कृष्ण रास रचाया करता,
हुड़े राधा रानी नाच्या करती,
मैं तो बंसरी की धुन सुनकर,
नाच दिखाया करती ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो चंद्रभान की चेली सूं,
बिना डर के फिरूं अकेली सूं,
कदे आवे कृष्ण काला,
देखू मैं तो बाट खड़ी ।
मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी ।
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
मैं तो एकली खड़ी बण में,
आज मेरा कोई नहीं धणी,
हिंदू धर्म में रामभक्त हनुमान का विशेष स्थान है। संकटमोचन हनुमान को प्रसन्न करने के लिए साल में दो बार हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड और वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं।
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड में श्री हनुमान जी की भक्ति, शक्ति, साहस, सेवा और समर्पण की अनुपम कथा का वर्णन किया गया है।
हनुमान जयंती पर देशभर में भक्त बजरंगबली की पूजा-अर्चना में जुटे हैं। इस बार यह पर्व 12 अप्रैल 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।
इस बार की हनुमान जयंती बेहद खास रहने वाली है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-उपवास रखने और सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।