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मन भजले पवनसुत नाम, प्रभु श्री राम जी आएंगे(Man Bhaj Le Pawansut Naam Prabhu Shri Ram Ji Aayenge)

मन भजले पवनसुत नाम, प्रभु श्री राम जी आएंगे(Man Bhaj Le Pawansut Naam Prabhu Shri Ram Ji Aayenge)

मन भजले पवनसुत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,

तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

मन भजले पवन सूत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥


स्वामी की भक्ति होती है कैसी,

हनुमत ने जग को दिखाया,

मन को मंदिर सुहाना,

राम को उसमे बिठाया,

तेरी भक्ति बड़ी निष्काम,

तेरी भक्ति बड़ी निष्काम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

मन भजले पवन सूत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥


भक्ति बिना जो सुना पड़ा है,

उस घर में दीपक जला ले,

मालिक की किरपा तुझपे रहेगी,

रूठे प्रभु को मना ले,

जाए जीवन की बीती शाम,

जाए जीवन की बीती शाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

मन भजले पवन सूत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥


बहता पानी गुजरी जवानी,

लौट के आए कभी ना,

अब भी वक्त है कर ले उपाय,

ये भी क्या जीना है जीना,

दो कौड़ी नहीं तेरा दाम,

दो कौड़ी नहीं तेरा दाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

मन भजले पवन सूत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥


चरणों में बहती ज्ञान की गंगा,

‘बबली’ तू डुबकी लगा ले,

जन्म जनम के बंधन से प्यारे,

इक पल में मुक्ति तू पा ले,

यही जीवन का है सार,

यही जीवन का है सार,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

मन भजले पवन सूत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥


मन भजले पवनसुत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,

तेरा बिगड़ा बनाने हर काम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे,

मन भजले पवन सूत नाम,

प्रभु श्री राम जी आएंगे ॥

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अमृत स्नान पर अद्भुत संयोग

पंचांग के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या बुधवार, 29 जनवरी 2025 को है। बता दें कि माघ माह की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है। इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है।

सिंहस्थ कुंभ कहां लगेगा

फिलहाल, जोर-शोर से महाकुंभ चल रहा है। इसमें नागा साधु के अलावा विभिन्न प्रकार के साधु-संन्यासी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। देश के कोने-कोने से यहां साधु-संत पहुंचे हैं।

नागा साधु क्यों नहीं नहाते

नागा साधु एक विशेष प्रकार के संन्यासी होते हैं, जो अपनी साधना और तपस्या के लिए कठोर जीवनशैली अपनाते हैं। जबकि वे कुंभ मेले जैसे विशेष अवसरों पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, सामान्य साधु की तरह वे रोज नहाने पर विश्वास नहीं करते।

संन्यास और वैराग्य में क्या अंतर है

संन्यास और वैराग्य, दोनों ही आध्यात्मिक साधना के प्रमुख मार्ग हैं। परंतु, जब भी लोग किसी संन्यासी को देखते हैं तो अक्सर उन्हें वैरागी समझ लिया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोनों ही उच्च आध्यात्मिक साधना और ईश्वर की भक्ति से जुड़े होते हैं।

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