[माँ नाम लेना कोई शर्म नहीं है,
इससे बड़ा तो कोई करम नहीं है,
जिसमे माता की पूजा का जिक्र न हो,
ऐसा तो दुनिया में कोई धर्म नहीं है ]
मैया कृपा करदो,
झोली मेरी भरदो ।
तेरी दया का हम,
सदा गुणगान करेंगे ।
तेरा ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा कर दो,
झोली मेरी भरदो ।
भक्तो की करती हरदम रखवाली हो
हर संकट को पलभर में तुम टाली हो
फिर क्यों नहीं तुम पर,
भला अभिमान करेंगे
तेरा ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा करदो,
झोली मेरी भरदो ।
तेरी दया का हम,
सदा गुणगान करेंगे ।
तेरा ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा कर दो,
झोली मेरी भरदो ।
मेरी विनती सुनकर मत ठुकरा देना
अपना बालक जान मुझे अपना लेना
अर्पण तुम्हारी सेवा में हम प्राण करेंगे
तेरा ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा करदो,
झोली मेरी भरदो ।
तेरी दया का हम,
सदा गुणगान करेंगे ।
तेरा ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा कर दो,
झोली मेरी भरदो ।
दृष्टि दया शर्मा पे माँ अब तो करदो
अपने भक्तो की मैया झोली भरदो
हरदम तुम्हारे नाम का गुणगान करेंगे
नित ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा करदो,
झोली मेरी भरदो ।
तेरी दया का हम,
सदा गुणगान करेंगे ।
तेरा ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा कर दो,
झोली मेरी भरदो ।
मैया कृपा करदो,
झोली मेरी भरदो ।
तेरी दया का हम,
सदा गुणगान करेंगे ।
तेरा ध्यान करेंगे ।
मैया कृपा कर दो,
झोली मेरी भरदो ।
हिंदू तिथि के अनुसार, हर 12 साल में पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ महाकुंभ की शुरुआत होती है और महाशिवरात्रि पर खत्म होता है।
प्रयागराज, धर्म और आस्था की पवित्र नगरी, इन दिनों महाकुंभ की तैयारियों में जुटी है। संगम नगरी में लगने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु स्नान और पूजा के लिए पहुंचने वाले हैं। इस धार्मिक आयोजन के दौरान प्रयागराज के प्रमुख घाटों के साथ-साथ यहां के ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों के दर्शन करना भी एक खास अनुभव होता है।
तीर्थराज प्रयागराज, जो सनातन धर्म की सबसे प्राचीन और पवित्र नगरीयों में से एक मानी जाती है, धर्म और संस्कृति का अद्वितीय केंद्र है।
प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। इस दिन पहला शाही स्नान भी होगा। बड़ी संख्या में साधु संत और श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर स्नान करेंगे। बता दें कि हिंदू धर्म में शाही स्नान की परंपरा बेहद पुरानी रही है।