हिंदू तिथि के अनुसार, हर 12 साल में पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ महाकुंभ की शुरुआत होती है और महाशिवरात्रि पर खत्म होता है। साल 2025 में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन होने वाला है। महाकुंभ 45 दिन तक चलता है।
महाकुंभ का आयोजन भारत के चार पवित्र स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में हर 12 साल के अंतराल पर होता है। वैसे तो हर साल प्रयागराज में माघ मेला लगता है, लेकिन अर्ध कुंभ और महाकुंभ मेला विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इसके पहले साल 2013 में प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगा था। साल 2019 में प्रयागराज में भव्य अर्धकुंभ का आयोजन हुआ था।
संगम नगरी में लगने वाले कुंभ मेले को पांच जगहों में बांटा गया है। जिसमें झूंसी, तेलियरगंज, संगम, परेड ग्राउंड और अरैल शामिल है। आयोजन से पहले महाकुंभ 2025 के एक्स हैंडल पर एक जानकारी साझा की गई है। इन इलाकों को सेक्टर में बांटा गया है। जिसमें कुल 25 सेक्टर हैं। इन सेक्टरों को जोड़ने के लिए पुल भी हैं। जिनकी संख्या 13 है। साथ ही मैप में मुख्य मार्गों की जानकारी दी गई है कि कौन सा रास्ता कहां से कहां जा रहा है और किस रास्ते पर कौन सा धार्मिक स्थल होगा ये बताया गया है।
दिवाली का त्योहार पूरे देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है।
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी के दिन श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इनके अलावा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का भी विधान है।
छोटी दिवाली का पावन त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली के साथ-साथ रूप चौदस, काली चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
दीपावली, जिसे आम बोलचाल में दीवाली भी कहा जाता है। ये त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है।