महाकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना,
मैं गुलाम हूँ भोले का,
मेरे साथ है जमाना,
महांकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना ॥
मेरा क्या बिगाड़ लेगा,
जो खिलाफ है जमाना,
मुझे डर नहीं किसी का,
मैं हूँ भोले का दीवाना,
महांकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना ॥
पल भर में भोले बाबा,
बिगड़ी को बनाते है,
बिन मांगे भोले बाबा,
वरदान ये देते है,
महांकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना ॥
महाकाल का दीवाने,
उज्जैन में आते है,
महाकाल के भवन में,
जयकारे लगाते है,
महांकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना ॥
महाकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना,
मैं गुलाम हूँ भोले का,
मेरे साथ है जमाना,
महांकाल मेरी मंजिल,
उज्जैन है ठिकाना ॥
जिस तरह सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश से मकर संक्रांति मनाई जाती है। उसी तरह जिस दिन सूर्यदेव कुंभ राशि में प्रवेश कर सकते हैं, वह दिन कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में, थाईपुसम एक प्रमुख त्योहार माना जाता है। यह त्योहार विशेषकर तमिल समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार माघ माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शंकर भगवान के बड़े पुत्र भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
हिंदू धर्म में, सूर्य देव के राशि परिवर्तन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जब दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे संक्रांति कहा जाता है। दरअसल, सूर्य जिस राशि में प्रवेश कर सकते हैं, उस दिन को उसी राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य में स्थित है। मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है।