डम ढोल नगाड़ा बाजे,
झन झन झनकारा बाजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात में,
महाकाल की बारात मे ॥
दूल्हा बने भोले भंडारी,
तन पर भस्म रमाके,
भूत प्रेत नंदी गण नाचे,
बज रहे ढोल ढमाके,
मस्तक पर चंदा साजे,
नंदी पर आप विराजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
भांग धतुरा पिये हलाहल,
दूल्हा बड़ा निराला,
माँ पार्वती के दिल को भाया,
ये कैसा दिलवाला,
जिसके गले में नाग विराजे,
मृगशाला तन पर साजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
उजले होकर सज गए भोले,
मोहक रुप बनाए,
ब्रम्हा जी मृदंग बजाते,
विष्णु मंगल गाए,
श्रृंगी भृंगी भी नाचे,
देव और दानव भी नाचे,
‘गौरव तिलक’ भी नाचे,
महाकाल की बारात में,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात मे ॥
डम ढोल नगाड़ा बाजे,
झन झन झनकारा बाजे,
डम डम डम डमरु बाजे,
महाकाल की बारात में ॥
नमामि-नमामि अवध के दुलारे ।
खड़ा हाथ बांधे मैं दर पर तुम्हारे ॥
कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।
हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,
नमामी राधे नमामी कृष्णम,
नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,