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माँ अंजनी के लाला मेरा, एक काम कर दे(Maa Anjani Ke Lala Mera Ek Kaam Kar De)

माँ अंजनी के लाला मेरा, एक काम कर दे(Maa Anjani Ke Lala Mera Ek Kaam Kar De)

माँ अंजनी के लाला मेरा,

एक काम कर दे,

सुबह सुबह की बालाजी,

मेरी राम राम लेले ॥


सुबह सुबह की राम राम ये,

जीवन संवार देती है,

एक नजर प्रभु राम जी की,

भव से उतार देती है,

नैया मेरी बाबा राम हवाले तू करदे,

सुबह सुबह की बालाजी,

मेरी राम राम लेले ॥


राम नाम का प्याला पीके,

धन्य तुम्हारे भाग हुए,

साथ में लेलो हमको भी,

अब हम तो हैं लाचार हुए,

मेरे दिल के कागज पर तू राम नाम लिखदे,

सुबह सुबह की बालाजी,

मेरी राम राम लेले ॥


राम राम के जप ने तुमको,

बना दिया मस्ताना है,

राम को मेरी अर्जी दे,

कहे ‘कुर्मी अमन’ दिवाना है,

‘कैलाश’ तेरा दीवाना है,

‘केशव शर्मा’ को चरणों में राम के तू करदे,

सुबह सुबह की बालाजी,

मेरी राम राम लेले ॥


माँ अंजनी के लाला मेरा,

एक काम कर दे,

सुबह सुबह की बालाजी,

मेरी राम राम लेले ॥

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काल भैरव को क्यों चढ़ाई जाती है शराब

महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित बाबा काल भैरव मंदिर अपने अनोखे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिवजी के पांचवें अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की लगभग 6 हजार साल पुरानी मूर्ति स्थापित है।

पीपल के पेड़ की पूजा क्यों होती है?

सनातन धर्म में नदियों, पहाड़ों और पेड़ पौधों तक को देवताओं के समान पूजने की परंपरा है। यह हमारी धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है, जिसका संबंध प्रकृति प्रेम, पर्यावरण की रक्षा और ईश्वर की दी गई हर चीज के प्रति सम्मान की भावना और विज्ञान की अवधारणाओं से जुड़ा हुआ है।

शंख क्यों बजाया जाता है?

धार्मिक कार्यक्रमों और आयोजनों के दौरान हिंदू धर्म में शंख बजाना एक परंपरा है जो युगों-युगों से चली आ रही है। शंख हमारे लिए सिर्फ एक वाद्ययंत्र नहीं हमारी धार्मिक संस्कृति और प्रथाओं का हिस्सा है। यह हमारे लिए आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है।

कुंभ मेले का इतिहास

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अदम्य शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह महोत्सव ना सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है। बल्कि, यह आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।

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