लोरी सुनाए गौरा मैया,
झूला झूले गजानंद,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
झूला झूले गजानंद,
लोरी सुनाए गोरा मैया,
झूला झूले गजानंद ॥
शिव शंकर का डमरू बाजे,
नारद नाचे नंदी नाचे,
ठंडी ठंडी चले पुरवैया,
ठंडी ठंडी चले पुरवैया,
झूला झूले गजानंद,
लोरी सुनाए गोरा मैया,
झूला झूले गजानंद ॥
कोई पीताम्बर पहनाए,
आँखों में कोई कजरा लगाए,
लागे ना देवा तुमको नजरिया,
लागे ना देवा तुमको नजरिया,
झूला झूले गजानंद,
लोरी सुनाए गोरा मैया,
झूला झूले गजानंद ॥
मंगल गीत यहाँ देवियां गाए,
सुर नर मुनि सब पर्व मनाए,
खुश है निरंजन सारी दुनिया,
खुश है निरंजन सारी दुनिया,
झूला झूले गजानंद,
लोरी सुनाए गोरा मैया,
झूला झूले गजानंद ॥
लोरी सुनाए गौरा मैया,
झूला झूले गजानंद,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया,
झूला झूले गजानंद,
लोरी सुनाए गोरा मैया,
झूला झूले गजानंद ॥
सीता राम सीता राम,
सीताराम कहिये,
भारत के त्योहार और अनुष्ठान वैदिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं। इसमें से अन्वधान और इष्टि का विशेष महत्व है। ये अनुष्ठान कृषि चक्रों और आध्यात्मिक कायाकल्प के साथ जुड़े होते हैं।
हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि मान्यता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है।
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में II