काले काले बदरा,
घिर घिर आ रहे है,
ऐ जी झूला डालो,
हम्बे झूला डालो,
कदम्ब की डाल,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है,
लम्बे लम्बे झोटा,
राधा रानी ले रही है,
ऐ जी कोई नन्ही नन्ही,
हम्बे कोई नन्ही नन्ही,
परत फुहार,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है ॥
झूला पे मोहन,
श्यामा संग झूलते जी,
ऐ जी गोपी गाती है,
हम्बे गोपी गाती है,
राग मल्हार,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है ॥
चंपा चमेली जूही,
मोगरा खिल रहे जी,
ऐ जी कोई शीतल,
ऐ जी कोई शीतल,
चलत बयार,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है ॥
कदम्ब की डाली काली,
कोयलिया गा रही जी,
ऐ जी दादुर पपिहन की,
ऐ जी दादुर पपिहन की,
सुरीली मस्त पुकार,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है ॥
राधा की पायल कान्हा की,
बंसी बज रही,
ऐ जी दास प्रेमी के,
ऐ जी दास प्रेमी के,
लड़ी है अखियाँ चार,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है ॥
काले काले बदरा,
घिर घिर आ रहे है,
ऐ जी झूला डालो,
हम्बे झूला डालो,
कदम्ब की डाल,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है,
लम्बे लम्बे झोटा,
राधा रानी ले रही है,
ऐ जी कोई नन्ही नन्ही,
हम्बे कोई नन्ही नन्ही,
परत फुहार,
कारे कारे बदरा,
घिर घिर आ रहे है ॥
हे पुरुषोत्तम श्रीराम,
करूणानिधान भगवान ॥
सात्विक मंत्र साधना में शुद्धि, शांति, और उन्नति का विशेष महत्व है। इसका उद्देश्य भौतिक इच्छाओं से मुक्त होकर ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है।
हो के नाचूं अब दिवाना,
मैं प्रभु श्रीराम का,
है सुखी मेरा परिवार,
माँ तेरे कारण,