सखी हरिद्वार जाउंगी,
हरिद्वार जाउंगी,
सखी ना लौट के आऊँगी,
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी हरिद्वार जाउंगी ॥
छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,
भोले तेरी याद में,
छोड़ दिया मैंने भोजन पानी,
भोले तेरी याद में,
मेरे नैनन बरसे नीर,
सखी हरिद्वार जाउंगी ॥
सुंदर सलोनी सूरत पे,
दीवानी हो गई,
अब कैसे धारू धीर सखी,
सखी हरिद्वार जाउंगी,
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी हरिद्वार जाउंगी ॥
इस दुनिया के रिश्ते नाते,
सब ही तोड़ दिए,
तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,
सखी हरिद्वार जाउंगी,
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी हरिद्वार जाउंगी ॥
नैन लड़े मेरे भोले से,
बावरी हो गई,
दुनिया से हो गई अंजानी,
सखी हरिद्वार जाउंगी,
मेरे उठे विरह में पीर,
सखी हरिद्वार जाउंगी ॥
ठुमक चलत रामचंद्र,
ठुमक चलत रामचंद्र,
सिंह चढी देवी मिले,
गरूड़ चढे भगवान ।
तीनो लोको में भोले के जैसा ॥
तेरी प्रीत में मोहन,
मन बावरा है,