हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
महफ़िल में जुदा रहना, संतो से सीख जाएं ।
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ॥
सुख दुःख में हसना रोना, है काम कायरो का ।
सुख दुःख में हसना रोना, है काम कायरो का ।
दोनों में मुस्कुराना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
झंझट से भाग जाना, सब लोग बताते है ।
झंझट से भाग जाना, सब लोग बताते है ।
झंझट में बच के रहना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
मरने के बाद मुक्ति, सब लोग बताते है ।
मरने के बाद मुक्ति, सब लोग बताते है ।
जीते जी मुक्त होना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
दुनिया के लोग दौलत, पाकर के मुस्कुराते ।
दुनिया के लोग दौलत, पाकर के मुस्कुराते ।
पर भिछु बन के हसना, संतो से सीख जाएं ॥
हर हाल में खुश रहना, संतो से सीख जाएं ।
भगवान परशुराम का जन्म राजा जीमूतवाहन और उनकी पत्नी रेणुका के घर हुआ था। वे ब्राह्मण कुल से थे, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र में शस्त्र-विद्या का ज्ञान और युद्धकला का अभ्यास था। उन्हें भगवान विष्णु के दशावतार में एक माना जाता है। परशुराम जी ने भगवान शिव से भी शिक्षा ली थी।
श्यामा तेरे चरणों की,
राधे तेरे चरणों की,
जगन्नाथ यानी कि जगत के स्वामी या संसार के प्रभु। यह उनके ब्रह्म रूप और संसार के पालनहार के रूप को दर्शाता है। भगवान जगन्नाथ की पूजा विशेष रूप से "रथ यात्रा" के दौरान होती है, जो एक प्रसिद्ध हिन्दू त्योहार है। यह यात्रा पुरी में आयोजित होती है और हर साल लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।
सिंघ सवारी महिमा भारी,
पहाड़ों में अस्थान तेरा,