दर्शन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
तुम ही मेरे हो लंबोदर,
आस ना कोई दूजा,
अपनी किरपा रखना स्वामी,
मन से की है पूजा,
मंदिर में तेरे आके देवा,
लडुवन भोग लगाके,
दर्शंन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
ना कोई बंधन जगत का कोई,
पहरा ना लग पाए,
सब बाधाएं दूर है होती,
शरण जो तेरी आये,
गजमुख देव छवि ये तेरी,
मन में इसे बिठाके,
दर्शंन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
तेरा ही मुख देख गणेशा,
रात को मैं सो जाऊं,
भोर भये जब आंख खुले तो,
तेरे दर्शन पाऊं,
शिव के पुत्र दुलारे तुम हो,
भक्तो के भी प्यारे,
दर्शंन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
दर्शन को तेरे आया,
सब देव तेरी माया,
पूजा करेंगे तेरी,
सेवा करेंगे तेरी ॥
जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर ।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
अतीत प्राचीन काल की बात है। एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तब करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे।
एक समय नैमिषीरण्य तीर्थ में शौनकादि 88 हजार ऋषियों ने श्री सूत जी से पूछा हे प्रभु! इस कलयुग में वेद-विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा।