चलो मम्मी चलो पापा चलो मम्मी चलो पापा
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2
चलो पापा चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
जय माँ जय माँ जय माँ जय माँ
जय माँ जय माँ जय माँ जय माँ
देखना है हमें भी जवाला माँ का खेल रे
ज्योत जगे जिसकी बिना बाटी बिना तेल रे
देखना है हमें भी जवाला माँ का खेल रे
ज्योत जगे जिसकी बिना बाटी बिना तेल रे
झुकता है जहा संसार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2
दिखला दो जगह जहा ध्यानु भक्त आया था
शीश जिसने काट माँ के चरणो में चढ़ाया था
दिखला दो जगह जहा ध्यानु भक्त आया था
शीश जिसने काट माँ के चरणो में चढ़ाया
हुए जहा माँ के चमत्कार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2
कैसा राजा अकबर का वो छतर निराला है
कैसे ताम्बे लोहे के जिनसे निकली ज्वाला है
कैसा राजा अकबर का वो छतर निराला है
कैसे ताम्बे लोहे के जिनसे निकली ज्वाला है
बहती है जहा जल की धार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ..2
जय माँ जय माँ जय माँ
जय माँ जय माँ जय माँ
दर्शन गोरखनाथ जी की टिब्बी का भी पाना है
हमें अर्जुन नागा वाले मंदिर में भी जाना है
दर्शन गोरखनाथ जी की टिब्बी का भी पाना है
हमें अर्जुन नागा वाले मंदिर में भी जाना है
निर्दोष पूजा के कुछ हार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो
चलो मम्मी चलो पापा चलो मम्मी चलो पापा
चलो मम्मी चलो इक बार ले चलो
हमें ज्योता वाली के दरबार ले चलो ….4
धनतेरस पर विभिन्न वस्तुओं की खरीदी का रिवाज है। इस शुभ दिन पर खरीदारी करने की परंपरा धनतेरस की पौराणिक मान्यता के साथ ही आरंभ हुई है।
छोटी दिवाली अमावस्या के एक दिन पहले यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाई जाएगी। जिसे नरक चतुर्दशी, यम दिवाली, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
छोटी दिवाली के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण, मां काली और यमराज की पूजा करने का विधान है। इस दिन संध्या के समय यमराज को दीप अर्पित किया जाता है।