बिगड़ी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ,
शेरोवाली माँ जोतावाली माँ,
पहाडोंवाली माँ झंडेयावाली माँ,
एक बार तू आजा ओ मेहरोवाली माँ,
बिगडी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ ॥
बागों से कलियाँ चुन चुन,
तेरा सुन्दर भवन सजाऊँ,
तारों जड़ी चुनरिया,
जयपुर से मैं तो लाऊँ,
अपनी झलक दिखा जा,
ओ शेरोवाली माँ,
बिगडी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल,
तेरी भेंट चढ़ाऊँ,
हलवा छोले पूरी,
तेरा भोग मैं बनाऊं,
आकर भोग लगा जा,
ओ शेरोवाली माँ,
बिगडी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ ॥
‘चोखानी’ को तुम्हारी,
ममता की प्यास बाकी,
‘टोनी’ को अम्बे रानी,
इतनी सी आस बाकी,
आकर गले लगा जा,
ओ शेरोवाली माँ,
बिगडी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ ॥
बिगड़ी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ,
शेरोवाली माँ जोतावाली माँ,
पहाडोंवाली माँ झंडेयावाली माँ,
एक बार तू आजा ओ मेहरोवाली माँ,
बिगडी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ ॥
फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥
फूलों में सज रहे हैं,
श्री वृन्दावन बिहारी,
फूलो से अंगना सजाउंगी
जब मैया मेरे घर आएंगी।
हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।