बजे कुण्डलपर में बधाई,
के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी
जागे भाग हैं त्रिशला माँ के,
के त्रिभवन के नाथ जन्मे, महावीर जी
शुभ घडी जनम की आई,
सवरग से देव आये, महावीर जी
तेरा नवन करें मेरु पर
के इंद्र जल भर लाए, महावीर जी
तुझे देवीआं झुलाये पलना,
मन में मगन हो के, महावीर जी
तेरे पलने में हीरे मोती,
के गोरिओं में लाल लटके, महावीर जी
अब ज्योति तेरी जागी
के सूर्य चाँद छिप जाए, महावीर जी
तेरे पिता लुटावें मोहरें
खजाने सारे खुल जाएंगे, महावीर जी
हम दरश को तेरे आए
के पाप सब काट जाएंगे, महावीर जी
बजे कुण्डलपर में बधाई,
के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी
हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी ‘जिसे गंगा जयंती भी कहा जाता है’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में श्रद्धा और भाव के साथ मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में गंगा नदी को केवल एक नदी नहीं, बल्कि एक देवी के रूप में पूजा जाता है। मां गंगा को मोक्षदायिनी, पाप विनाशिनी और पुण्य प्रदान करने वाली माना गया है।
गंगा सप्तमी, जिसे गंगा जयंती या जाह्नवी सप्तमी भी कहा जाता है, इसे हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन मां गंगा के पुनः प्रकट होने की कथा से जुड़ा हुआ है, जब ऋषि जाह्नु ने मां गंगा को अपने कान से पुनः प्रकट किया था।
हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं।