अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥
द्वारे पे आए माँ हमको निहारो,
सोई हुई तक़दीर संवारो,
अगर माँ की ज्योति जलाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
हमें क्या पड़ी है हम तुम्हे मनाए,
हमारा तो हक़ है की हम रूठ जाए,
अगर माँ मनाने तू आई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
फटकार देना माँ दुत्कार देना,
मगर भोली माँ लाल को प्यार देना,
अगर माँ ने बिगड़ी बनाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥
हरछठ या हलछठ पर्व के दिन व्रत रखने से संतान-सुख की प्राप्ति होती है। अब आपके दिमाग में हरछठ व्रत को लेकर कई सवाल आ रहे होंगे। तो आइए आज भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि हरछठ पर्व क्या है और इसमें व्रत रखने से हमें क्यों संतान प्राप्ति होती है?
जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।
भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
मुरलीधर, मुरली बजैया, बंसीधर, बंसी बजैया, बंसीवाला भगवान श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाता है। इन नामों के होने की वजह है कि भगवान को बंसी यानी मुरली बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण मुरली बजाते भी उतना ही शानदार हैं।