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त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ , त्रिपुरा (Tripura Sundari Shaktipeeth, Tripura)

त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ , त्रिपुरा (Tripura Sundari Shaktipeeth, Tripura)

त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ इसी के नाम पर पड़ा त्रिपुरा का नाम, तीनों लोकों में इन से सुंदर कोई नहीं


भारत के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा की उदयपुर पहाड़ी पर मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर स्थित है। मां त्रिपुर सुंदरी के नाम पर ही त्रिपुरा राज्य का नाम पड़ा। माता को त्रिपुर सुदंरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि तीनों लोकों में इनसे सुंदर कोई नहीं है। इस मंदिर को स्थानीय लोग माताबाड़ी भी कहते हैं। इस स्थान की महत्ता और विशिष्टता कहानी मंदिर की पुरानी पांडुलिपियों में भी दर्ज है। मान्यता के अनुसार यहां माता सती का दाहिना पांव गिरा था। 


तंत्र क्रिया के लिए मशहूर है मंदिर


इस शक्तिपीठ में नवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यहाँ भगवान शिव को त्रिपुरेश के नाम से पूजा जाता है जो शक्तिपीठ की रक्षा करते हैं। भगवती त्रिपुर सुंदरी को दस महाविद्याओं में से एक सौम्य कोटी की माता माना जाता है। माता के इस पीठ को कूर्म पीठ भी कहा जाता है। कामाख्या मंदिर के साथ ही यह मंदिर भी तंत्र साधना के लिए मशहूर है। यहां तंत्र-मंत्र करने वाले साधक आते हैं और अपनी साधना को पूर्ण करने के लिए देवी की पूजा करते हैं।


राजा धन माणिक्य को स्वप्न में दिखीं माता


त्रिपुरा में 15वीं शताब्दी के दौरान राजा धन्य माणिक्य का शासन था। माना जाता है कि एक रात राजा को स्वप्न में माता त्रिपुर सुंदरी ने तत्कालीन राजधानी उदयपुर में एक पहाड़ी के ऊपर अपनी उपस्थिति के बारे में बताया और उन्हें यह आज्ञा दी कि उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण कराया जाए। इसक बाद राजा माणिक्य ने सन् 1501 के दौरान इस मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर का निर्माण बंगाली वास्तुशैली एकरत्न के हिसाब से कराया गया है। चूँकि जिस पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है उसका आकार कछुए की पीठ के समान है, अतः इस स्थान को ‘कूर्म पीठ‘ भी कहा जाता है।


कछुओं को भोजन कराने की परंपरा


मंदिर के गर्भगृह में काले ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित दो प्रतिमाएं स्थापित हैं। लगभग 5 फीट ऊँचाई की मुख्य प्रतिमा माता त्रिपुर सुंदरी की है। जबकि 2 फुट की एक अन्य प्रतिमा, जिसे ‘छोटो माँ’ कहा जाता है, माता चंडी की है। ऐसा माना जाता है कि जब भी त्रिपुरा के राजा किसी युद्ध में जाते थे तब माता चंडी की छोटी प्रतिमा अपने साथ लेकर जाते थे। मंदिर के नजदीक ही कल्याण सागर नाम का एक बड़ा तालाब स्थित है, जहाँ बहुत बड़ी मात्रा में कछुए पाए जाते हैं। यहाँ कछुओं को भोजन कराना मंदिर की परंपरा का ही एक हिस्सा है।


60 किमी दूर है नजदीकी हवाई अड्डा


उदयपुर का नजदीकी हवाई अड्डा अगरतला में स्थित महाराजा बीर बिक्रम एयरपोर्ट है, जो यहाँ से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा उदयपुर में रेलवे स्टेशन भी है, जो लमडिंग रेलवे डिवीजन के अंतर्गत आता है। यहाँ से असम और त्रिपुरा के प्रमुख शहरों के लिए रेल कनेक्टिविटी उपलब्ध है। सड़क मार्ग से भी उदयपुर, त्रिपुरा और असम के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर स्थित उदयपुर से बाकी शहरों के लिए बेहतर रोड कनेक्टिविटी है।


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