Logo

कला साधना पूजा विधि

कला साधना पूजा विधि

Kala Sadhana Puja: कला साधना पूजा का क्या है महत्व, जानें पूजा विधि और लाभ



कला को साधना कहा जाता है , क्योंकि यह केवल मनोरंजन नहीं बल्कि आत्मा की एक गहरी यात्रा होती है। चाहे वह संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला, नाटक या किसी अन्य रूप में हो। कला का अभ्यास केवल मेहनत ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और समर्पण की भी मांग करता है। भारतीय संस्कृति में, कला को देवी-देवताओं की कृपा से जोड़कर देखा जाता है। इसी कारण से कला की शुरुआत के पहले विशेष पूजा की जाती है। यह पूजा कलाकारों को उनकी कला में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।  साथ ही उनका आत्मविश्वास बढ़ाते हुए उन्हें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। 

कला साधना पूजा का महत्व कलाकारों के जीवन में बहुत अधिक है। यह पूजा उन्हें अपनी कला के प्रति प्रेरित करती है और उन्हें अपनी कला में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। चलिए पूजा के लाभ, प्रक्रिया और इसके महत्व के बारे में आपको बताते हैं।

पूजा सामग्री


कला साधना पूजा के लिए कई सामग्रियों  की आवश्यकता होती है:

  • सरस्वती माता की मूर्ति
  • अपने कला उपकरण (जैसे: ब्रश, रंग, कैनवास, संगीत वाद्य यंत्र आदि)
  • धूप
  • दीप
  • अक्षत
  • रोली
  • चावल
  • फल
  • मिठाई

पूजा विधि 


  1. सबसे पहले पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें। कला पूजा के लिए बसंत पंचमी, गुरु पूर्णिमा, नवरात्रि, अक्षय तृतीया या किसी शुभ दिन को चुना जाता है। खासकर शाम के समय का मुहूर्त कलाकार के लिए बहुत लाभकारी होता है।
  2. सबसे पहले माता सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा करें।
  3. इसके बाद अपने कला उपकरणों की पूजा करें। फिर इसके बाद अपने गुरू का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें और अपनी कला का प्रदर्शन करें।
  4. अंत में पूजा के प्रसाद का वितरण करें।

कला साधना पूजा का महत्व और लाभ


इस पूजा के माध्यम से कलाकार को मानसिक शांति मिलती है। उसका आत्मविश्वास बढ़ता और और  एकाग्रता प्राप्त होती है। साथ ही यह पूजा न केवल कलाकार को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है, बल्कि उसे अपनी साधना में निरंतर प्रगति करने के लिए प्रेरित भी करती है।

........................................................................................................
चैत्र मास में क्या करें क्या न करें

ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह एक हिंदू कैलेंडर भी होता है। इस कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र के साथ होती है। यह महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में चैत्र नवरात्रि, राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं।

चैत्र मास में करें ये उपाय

चैत्र माह की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है। यह हिंदू पंचांग का पहला महीना है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व है। इस मास में की गई पूजा, व्रत और दान-पुण्य का प्रभाव संपूर्ण वर्ष पर पड़ता है। इसके अलावा मान्यता है कि इस माह में कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

चैत्र महीना भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे चैत्र माह में मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के उपाय

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी विघ्न समाप्त होते हैं और जीवन में शुभता आती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang