Holi Puja Vidhi: होली की पूजा कैसे करें, जानें पूजा विधि और पूजा सामग्री की लिस्ट
होली का पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों का भी प्रतीक है। होलिका दहन से पहले पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है और बुरी शक्तियों का नाश होता है। होली पूजा विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके नरसिंह अवतार की आराधना से जुड़ी हुई है, जो भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे। इस पूजा में कुछ विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है और धार्मिक विधि-विधान का पालन किया जाता है।
होली की पूजा सामग्री
होली पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है, जो इस प्रकार हैं:
- गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति – इसे पूजा के दौरान अग्नि में अर्पित किया जाता है।
- चार प्रकार की माला – पहली माला पितरों के लिए, दूसरी हनुमान जी के लिए, तीसरी माता शीतला के लिए और चौथी परिवार के लिए अर्पित की जाती है।
- रोली, मौली (कच्चा सूत), चावल और फूल – पूजा के दौरान देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।
- साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल और सात प्रकार के अनाज – इन सामग्रियों को होली में समर्पित करने से जीवन में खुशहाली आती है।
- नए गेहूं की बालियाँ और जल से भरा कलश – समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए चढ़ाया जाता है।
- बड़ी-फुलौरी, मिठाइयाँ और फल – प्रसाद के रूप में उपयोग किया जाता है।
होली की पूजा विधि
- सभी पूजन सामग्रियों को एक थाली में रखें और उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- शुद्ध जल लेकर स्वयं को शुद्ध करें और गोबर से होलिका तथा प्रह्लाद की मूर्ति बनाएं।
- भगवान नरसिंह का ध्यान करें और मूर्ति पर रोली, मौली, चावल, बताशे, फूल अर्पित करें।
- होली के चारों ओर सूत का धागा लपेटें और सात बार परिक्रमा करें।
- अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम लेकर होलिका को जल अर्पित करें और चावल हाथ में लेकर भगवान गणेश का ध्यान करें।
- सात प्रकार के अनाज होली में अर्पित करें और होलिका दहन से पहले सभी सामग्रियों को समर्पित करें।
- अग्नि प्रज्वलित करने के बाद होली की परिक्रमा करें और सभी को तिलक लगाकर त्योहार की शुरुआत करें।
होली पूजा मंत्र और महत्व
होली की पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिनमें से एक प्रमुख मंत्र है: "अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।।" इस मंत्र का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं।
अखाड़े महाकुंभ की शान होते हैं। इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु कुंभ मेले में पहुंचते हैं। अखाड़ा परिषद ने कुल 13 अखाड़ों को मान्यता दे रखी है। यह अखाड़े बड़े लोकप्रिय और प्रसिद्ध है। इनमें आम तौर पर महिला संत और पुरुष संत होते हैं।
प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। सभी 13 अखाड़े शाही स्नान के लिए पहुंच गए हैं।लेकिन महिलाओं का एक अखाड़ा बेहद चर्चा में बना हुआ है। बता दें कि महिलाओं के परी अखाड़े को प्रयाग महाकुंभ की व्यवस्थाओं से खुश नहीं है।
महाकुंभ की शुरुआत में अब 20 दिन से कम समय बचा है। सारे अखाड़े भी शाही स्नान के लिए प्रयागराज पहुंच गए हैं। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक प्रक्रिया है।
प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा जाता है। इस शहर में हिंदुओं के कई धार्मिक स्थान मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है प्रयागराज का विश्व प्रसिद्द त्रिवेणी संगम। महाकुंभ में इस संगम पर स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु आते हैं।