प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहला शाही स्नान हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में अखाड़ों के साधु संतों ने आस्था की डुबकी लगाई। 13 अखाड़ों ने अपने क्रम के अनुसार स्नान किया। हालांकि इन साधु संतों में खास आकर्षण महिला नागा संन्यासी रही। कई लोगों ने पहली बार देखकर हैरान हो गए। लोगों ने आम तौर पर पुरुष नागा साधु देखे तो, लेकिन पहली बार उन्हें महाकुंभ में महिला नागा संन्यासियों को देखने मिला। ऐसे में उनके मन में बहुत से सवाल उठे, चलिए आज उनके सवालों के जवाब लेख के जरिए देते हैं।
पुरुष नागा साधु मुख्य तौर पर नग्न रहते हैं और अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं। वहीं महिला नागा साध्वियां अपने रूप को थोड़ी अधिक सादगी और गरिमा के साथ प्रस्तुत करती हैं।
पुरुष नागा संन्यासियों किसी भी मौसम में किसी तरह का कपड़ा नहीं पहनते हैं। वे अपने शरीर पर सिर्फ भस्म रगड़ते हैं। वहीं महिला नागा साधु । दीक्षा मिलने के बाद महिला संन्यासी को सांसारिक कपड़ा छोड़कर अखाड़े से मिला पीला या भगवा वस्त्र पहनना होता है।
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया भी पुरुषों की तरह ही है। उन्हें सांसारिक जीवन से मोह त्यागना पड़ता है , अपना पिंड करना होता है। इसके अलावा महिलाओं को भी कठिन तप करना पड़ता है, लेकिन ये ज्यादातर गुप्त होता है। वहीं इनका अखाड़ों में प्रवेश भी सीमित होता है।
पुरुष नागा साधु बड़े धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेते हैं और प्रवचन देते हैं। महिला नागा साध्वियां ज्यादातर अपनी साधना पर ध्यान लगाती हैं और लोगों को प्रेरित करती हैं।
तुम्हारी जय हो वीर हनुमान,
ओ रामदूत मतवाले हो बड़े दिल वाले,
तुम्हारी याद आती है,
बताओ क्या करें मोहन,
हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों
तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।
तुम्हे वंदना तुम्हें वंदना,
हे बुद्धि के दाता,