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हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों तुम्हे अयोध्या बुला रही है (Hey Arya Putro, Hey Ram Bhakto, Tumhe Ayodhya Bula Rahi Hai)

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों तुम्हे अयोध्या बुला रही है (Hey Arya Putro, Hey Ram Bhakto, Tumhe Ayodhya Bula Rahi Hai)

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।

दमक रहा है, श्री राम मंदिर

दमक रहा है, श्री राम मंदिर

दिवाली सी जगमगा रही है ।

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।


हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।



बड़ी खुशी का दिन आज आया

राम लला ने है मान पाया


बड़ी खुशी का दिन आज आया

राम लला ने है मान पाया


ध्वाजा, सनातन ले राम टोली

वचन को अपने निभा रही है ।

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।


हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।



हजारों सालों की चिर प्रतिक्षा

सफल हुई भक्तों की तपस्या


हजारों सालों की चिर प्रतिक्षा

सफल हुई भक्तों की तपस्या


अवधपुरी की धरा मगन हो

जय जय श्रीराम गा रही है ।

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।


हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।


जो कार सेवक थे उनका वन्दन

सभी के माथे पे आज चन्दन

जो कार सेवक थे उनका वन्दन

सभी के माथे पे आज चन्दन

हनुमान गढी कनक भवन को

सरयू मैया लुभा रही है।


हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।


हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।


दमक रहा है, श्री राम मंदिर

दमक रहा है, श्री राम मंदिर

दिवाली सी जगमगा रही है ।


हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।


हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों

तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।

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चतुर्मास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य

चातुर्मास यानी चौमासा में सारे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वहीं, आषाढ़ माह की आखिरी एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।

देव उठनी एकादशी पर क्या खाना चाहिए?

सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। साल में दो एकादशी बड़ी एकादशी मानी जाती है, जिसका महत्व साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी के बराबर होता है।

देवउठनी एकादशी पर इन देवताओं की होती है पूजा

एकादशी व्रत आध्यात्मिक शुद्धि से संबंधित एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाई जाती है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है जो जगत के रक्षक माने जाते हैं।

भगवान के सामने क्यों जलाते हैं दीया

सनातन धर्म और उसकी परंपराएं जितनी पवित्र हैं, उतनी ही सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टि से तार्किक भी। ऐसे कई रीति-रिवाज, मान्यताएं और नियम हैं जो सनातन परंपरा का हिस्सा हैं।

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