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राम जानकी मंदिर, रामघाट, प्रयागराज

राम जानकी मंदिर, रामघाट, प्रयागराज

MahaKumbh 2025: संगम स्नान के बाद श्रीराम ने किया था इस मंदिर में विश्राम, जानें प्रयाग के इस मंदिर के बारे में 


प्रयागराज, जिसे तीर्थों का राजा कहा जाता है, आस्था और श्रद्धा का एक प्रमुख केंद्र है। यह ऐतिहासिक स्थल त्रेता युग से जुड़ा हुआ है, जब भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान पवित्र गंगा तट पर कदम रखा था। संगम के पास बंधवा घाट पर भगवान राम ने स्नान किया, जिसके बाद इस स्थान को "रामघाट" के नाम से प्रसिद्धि मिली।


यहां भगवान श्रीराम ने ऋषि-मुनियों की कुटिया में विश्राम किया था। आज, उस स्थान पर एक भव्य राम जानकी मंदिर स्थित है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पवित्र मंदिर और संगम स्नान को तीर्थयात्रियों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि यहां दर्शन और स्नान करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।


राम जानकी मंदिर और गंगा आरती का महत्व


राम जानकी मंदिर में भगवान राम, माता जानकी, लक्ष्मण, हनुमान, और बालक राम की मनमोहक मूर्तियां स्थापित हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहां प्रतिदिन होने वाली भव्य आरती भक्तों के मन को भक्ति से भर देती है। संगम तट पर आयोजित गंगा आरती का दृश्य भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष अनुभव होता है।


रामघाट और मंदिर: आस्था और श्रद्धा का संगम


रामघाट और राम जानकी मंदिर भगवान राम के वनवास के उस ऐतिहासिक क्षण के प्रतीक हैं, जब उन्होंने गंगा तट पर विश्राम किया था। संगम स्नान के बाद भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं और भगवान से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह स्थल आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का प्रमुख केंद्र है।


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इस दिन पड़ेगी साल की आखिरी शिवरात्रि

हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है और हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

शनि प्रदोष व्रत कथा

प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत अपने विशेष महत्व के लिए ही जाने जाते हैं। पर साल 2024 में पौष माह के प्रदोष व्रत को ख़ास माना जा रहा है।

शनि प्रदोष व्रत उपाय

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और शनिदेव के आराधना के लिए समर्पित होता है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले इस व्रत में शिवलिंग की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

शनि प्रदोष व्रत मुहूर्त और तारीख

सनातन हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। पर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ने पर उसे शनि त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।

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