वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म की एक अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसे विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत और भी विशेष हो गया है क्योंकि वट सावित्री व्रत पर ‘सोमवती अमावस्या’ का शुभ संयोग बन रहा है। धार्मिक दृष्टि से यह अत्यंत पुण्य दायक योग माना जाता है। इस वर्ष यह 26 मई को मनाया जाएगा।
जब अमावस्या तिथि सोमवार के दिन आती है, तो उसे ‘सोमवती अमावस्या’ कहा जाता है। शास्त्रों में इसे अत्यंत शुभ दिन माना गया है। इस दिन व्रत-पूजन, पवित्र नदियों में स्नान और वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन विशेषकर पितरों की शांति, दांपत्य जीवन की समृद्धि और कुल कल्याण के लिए उत्तम माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2024 में इस बार की सभी नौ तिथियों में दो तिथियों के घटने बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है। इस बार तिथि भेद के चलते नवरात्र में पंचमी तिथि दो दिन विद्यमान रहेगी, वहीं अष्टमी और नवमी तिथि एकसाथ होगी।
प्रतिमा साल भर टेढ़ी मुद्रा में रहती है। राम नवमी के दिन यह प्रतिमा सीधी हो जाती है। इसी दिन देवी की आरती और पूजा लाठियों से की जाती है।
भगवान श्री राम ने रावण का वध करने से पहले देवी के सभी नौ रूपों की पूरी विधि-विधान के साथ नौ दिनों तक पूजा की। मां के आशीर्वाद से दसवें दिन दशानन रावण का वध किया था। यही नौ दिन नवरात्रि के थे और दसवें दिन विजयादशमी।
काशी में मां दुर्गा के इस मंदिर में स्थित है रक्त से बना कुंड, पुजारी के दर्शन के बाद ही पूरी होती है पूजा