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नरसिंह जयंती पूजा विधि

नरसिंह जयंती पूजा विधि

Narsingh Jayanti Puja Vidhi: नरसिंह जयंती पूजा की संपूर्ण विधि, कष्टों से मिलेगा छुटकारा 


नरसिंह जयंती भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह भगवान के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, नरसिंह रूप में भगवान विष्णु ने आधे नर और आधे सिंह का रूप धारण कर अधर्म का नाश किया था। इस दिन भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यप का वध किया था। इसी कारण से इस दिन व्रत एवं विधिपूर्वक पूजा करने से सभी दुखों और भय का अंत होता है। 


लाल कपड़े पर दें भगवान नरसिंह को आसन 

  • सबसे पहले घर को अच्छी तरह से साफ-सुथरा करें। पूजा के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें। वहां पर एक चौकी या आसन पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान नरसिंह की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
  • भगवान नरसिंह के सामने घी या तिल का दीपक जलाएं। फिर पूजा में लाल पुष्प, जैसे कि लाल गुलाब या चमेली, फल, मिठाई और नारियल का प्रयोग करें। साथ ही, एक लाल रेशमी धागा अर्पित करें जिसे बाद में अपनी दाईं कलाई में बांध लें।
  • पूजा के अंत में अपनी मनोकामनाएं भगवान नरसिंह के समक्ष रखें और परिवार सहित उनकी आरती करें।


पूजा में  विशेष रूप से करें इन मंत्रों को जाप

पूजा के समय भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसलिए मंत्रों का जाप कम से कम 11, 21 या 108 बार करें। इन मंत्रों से व्यक्ति के मन में साहस और ऊर्जा का संचार होता है और शत्रुओं तथा बाधाओं का नाश होता है।

  • ॐ नृ नृसिंहाय शत्रु भुज बल विदीर्णाय स्वाहा।
  • उग्रं वीरं महाविष्णुम, ज्वलन्तं सर्वतोमुखम।
  • नृसिंहम भीषणं भद्रं, मृत्योर्मृत्यु नमाम्यहम।


भगवान नरसिंह की पूजा में करें ये विशेष उपाय 

  • भगवान नरसिंह के सामने चौमुखी दीपक जलाकर लाल पुष्प और लाल रेशमी धागा चढ़ाएं। 
  • तीन दीपक जलाएं और भगवान को उतने लाल फूल अर्पित करें जितनी आपकी उम्र है। फिर लक्ष्मी नरसिंह स्तोत्र का पाठ करें।
  • भगवान को पीली वस्तुओं, जैसे कि केला और बेसन की मिठाई का भोग लगाएं और उनका ध्यान करते हुए विशेष मंत्रों का जाप करें।
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गोवर्धन पूजा विधि

गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व उस ऐतिहासिक अवसर की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए इंद्र के अहंकार को कुचल दिया था।

श्री नृसिंह द्वादशनाम स्तोत्रम्

नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सिंह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।

होली से पहले आने वाला होलाष्टक क्या है

एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार जब प्रह्लाद भगवान विष्णु की स्तुति गाने के लिए अपने पिता हिरण्यकश्यप के सामने अड़ गए, तो हिरण्यकश्यप ने भगवान हरि के भक्त प्रह्लाद को आठ दिनों तक यातनाएं दीं।

होलाष्टक से जुड़े पौराणिक कथा

होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।

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