शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दिन विधिवत मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित होती है। इस विधि-विधान से व्रत और पूजा करके मां दुर्गा की स्तुति की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के सभी बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं और उसकी सब मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि दिसंबर में दुर्गाष्टमी पर्व कब बनाई जाएगी और इसमें पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 08 दिसंबर, दिन रविवार को सुबह 09 बजकर 44 मिनट से हो रहा है जिसका समापन अगले दिन 09 दिसंबर, दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर इस बार 8 दिसंबर 2024 को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। चूंकि, मां दुर्गा की आराधना निशा काल यानी रात में ही की जाती है। इसलिए, दिसंबर माह की दुर्गा अष्टमी 08 दिसंबर को ही मनाई जाएगी।
इस बार मासिक दुर्गाष्टमी पर 8 दिसंबर को सुबह 5:13 बजे से सुबह 6:07 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा। आप इस ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया के पश्चात स्नान करें और फिर स्वच्छ मन के साथ व्रत की शुरुआत करें। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 1:57 बजे से 2:38 बजे तक रहेगा। जबकि, गोधूलि मुहूर्त शाम 5:22 बजे से 5:49 बजे तक रहेगा। वहीं, मासिक दुर्गाष्टमी का निशिता मुहूर्त रात 11:46 बजे से रात 12:41 बजे तक रहने वाला है। इसलिए, आप इस दौरान मां दुर्गा की विधिवत स्तुति कर अपना व्रत खोल सकते हैं ।
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्त एक समय भोजन करते हैं या फिर फलाहार करते हैं। व्रत रखने से मन एकाग्र होता है और देवी दुर्गा की भक्ति में मन लगता है। पूरे विधि विधान से व्रत पूरा करने पर लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान होता है। इसके अलावा घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इसलिए, दुर्गाष्टमी का यह व्रत रखा जाता है।
वामन देव की पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भगवान वामन को श्री हरि का स्वरूप कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
वामन द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास की द्वादशी तिथि को और दूसरा भाद्रपद मास की द्वादशी तिथि को।
एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2025 में चैत्र और वैशाख माह रहेगा। इस दौरान दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आएंगे—कामदा एकादशी और वरुथिनी एकादशी।