हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय साल का दूसरा महीना यानी वैशाख माह चल रहा है। ये कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगा और इसके बाद शुरू होगा ज्येष्ठ माह। इस आम भाषा में जेठ महीना भी कहा जाता है। यह हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना होता है और मई-जून के बीच आता है। इस महीने को धार्मिक रूप से बहुत ही खास माना गया है। यह माह ग्रहों के राजा भगवान सूर्य देव को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान पूजा-पाठ करने से और सूर्य देव को जल अर्पित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। बता दें कि ज्येष्ठ माह में गर्मी अपने चरम पर होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है ज्येष्ठ का महीना।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 2025 में ज्येष्ठ माह की शुरुआत 13 मई, मंगलवार से होगी और इसका समापन 11 जून, बुधवार को होगा। इस माह में कई बड़े व्रत-त्योहार आते हैं।
जेठ का महीना तप, संयम, सेवा और दान-पुण्य का महीना माना जाता है। चूंकि इस समय तेज गर्मी होती है, इसलिए जल का महत्व और बढ़ जाता है। इस महीने में जलदान, छाया दान, पंखा, चप्पल, घड़ा आदि का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। यह महीना सेवा और दूसरों की मदद करने का प्रतीक भी है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी महीने में भगवान श्रीराम से हनुमान जी की पहली भेंट हुई थी, इसलिए यह माह हनुमान भक्ति के लिए भी खास होता है। साथ ही इस महीने सूर्य देव और वरुण देव की पूजा का भी विधान है। सूर्य देव को रोज अर्घ्य देना और जल अर्पित करना बहुत पुण्यदायी होता है। इससे आरोग्यता और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
इस महीने में मसालेदार, अधिक गरम और तले भोजन से परहेज करना चाहिए। लहसुन, राई और बैंगन का सेवन करने से बचना चाहिए। खासकर बैंगन को इस माह संतान के लिए अशुभ माना गया है। कोशिश करें कि दिन में एक बार सादा और हल्का भोजन करें।
जेठ महीने में कुछ विशेष चीजों का दान करना बहुत पुण्यदायी माना गया है। जैसे - जल से भरे घड़े, पंखा या छाता, जूते-चप्पल, खीरा, सत्तू, अन्न आदि। मान्यता है कि इन चीजों का दान करने से भगवान हनुमान और सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है।
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।
हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। इस साल 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो रहा है। माघ माह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के पहले दिन से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलता है।
2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।
आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करते हैं। सूर्य देव के इस राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। हर संक्रांति का अपना खास महत्व होता है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है।