कहीं लट्ठमार तो कहीं फूलों से खेली जाती है भारत की इन जगहों पर अनोखे तरीके से होली
बरसाना और नंदगांव की लट्ठमार होली
- बरसाना और नंदगांव की होली विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग यहां पहुंचते हैं।
- यह होली श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा से जुड़ी हुई है।
- बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।
- नंदगांव के पुरुष बरसाना में होली खेलने आते हैं, और यह आयोजन एक अनूठी परंपरा का हिस्सा है।
- यह होली एक हफ्ते तक चलती है, जिसमें भजन-कीर्तन और रासलीला का भी आयोजन होता है।
वृंदावन की फूलों की होली
- अगर आप पर्यावरण के अनुकूल और भक्ति से सराबोर होली देखना चाहते हैं, तो वृंदावन की फूलों की होली आपके लिए सबसे खास होगी।
- बांके बिहारी मंदिर में इस दिन गुलाल या रंगों की जगह फूलों से होली खेली जाती है।
- श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की मूर्तियों पर फूलों की वर्षा करते हैं।
- यह होली फाल्गुन महीने की एकादशी के दिन खेली जाती है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से हजारों लोग पहुंचते हैं।
- इस दौरान पूरे वृंदावन में भक्ति संगीत और रासलीला का आयोजन होता है, जिससे वातावरण और भी भक्तिमय हो जाता है।
काशी और मथुरा की भांग वाली होली
- काशी (वाराणसी) और मथुरा की होली में भांग और ठंडाई का खास महत्व होता है।
- यहाँ होली के दौरान विशेष रूप से ठंडाई और भांग का प्रसाद वितरित किया जाता है।
- काशी के घाटों पर भक्तगण रंगों के साथ नृत्य करते हैं और भगवान शिव व श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं।
- मथुरा में होली का त्योहार पूरे हफ्ते तक चलता है और यहां के मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं।
शांति निकेतन की सांस्कृतिक होली
- पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में होली को बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- यहाँ परंपरागत तरीके से गुलाल लगाकर और नृत्य-गान के साथ होली खेली जाती है।
- इसे रवींद्रनाथ टैगोर ने शुरू किया था और तब से यह होली कला और संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है।
- छात्र और कलाकार पारंपरिक परिधानों में रंग-बिरंगे फूलों से सजी वेशभूषा में नृत्य करते हैं।
- यह एक बेहद शांति और सौम्यता से मनाया जाने वाला होली उत्सव है, जिसमें पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाता।
........................................................................................................कर्क राशि के जातकों के लिए जनवरी 2025 का समय मिलाजुला रहने वाला है। ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों की वर्तमान स्थिति, गोचर और चाल के आधार पर किसी राशि के बारे में पूर्वानुमान लगाया जाता है।
सिंह राशि के जातकों को जनवरी के महीने में अपनी वाणी और व्यवहार में विनम्रता रखने की आवश्यकता पड़ेगी। यदि वे ऐसा करने में कामयाब रहते हैं। तो जनवरी महीने की शुरुआत में आने वाली बड़ी कठिनाइयां भी आसानी से दूर हो जाएंगी।
तुला राशि वालों के लिए जनवरी 2025 का महीना काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। बता दें कि ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की चाल के आधार पर राशि के बारे में जाना जाता है। ग्रहों की स्थिति हर माह अलग-अलग होती है।
जनवरी 2025 कन्या राशि के लिए अच्छा साबित होगा। इस दौरान सोचे हुए कई कार्य पूर्ण होंगे। साथ ही इन्हें घर और बाहर दोनों ही जगह लोगों का समर्थन प्राप्त होगा। माह की शुरुआत से ही इन्हें सौभाग्य का साथ मिलता हुआ नजर आएगा। ऐसे में करियर और कारोबार में मनचाही सफलता और आर्थिक लाभ के योग हैं।