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अयोध्या में इस तरह मनाई जाती है दिवाली

अयोध्या में इस तरह मनाई जाती है दिवाली

अयोध्या में इस तरह मनाई जाती है दिवाली, श्री राम के भव्य स्वागत और दीपोत्सव को देखने दुनियाभर से आते हैं लोग


भारत में दिवाली का पर्व हर जगह बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन, अयोध्या की दिवाली की बात ही कुछ और है। राम नगरी अयोध्या में हर साल दीपोत्सव के दौरान दिवाली को अत्यंत भव्य तरीके से मनाया जाता है। इस बार यह उत्सव और भी अधिक खास है। क्योंकि, 2024 की शुरुआत में ही राम मंदिर का निर्माण पूर्ण हुआ है। मंदिर के उद्घाटन के बाद यह पहली दिवाली है जो अयोध्या के इतिहास में सबसे यादगार और भव्य मानी जा रही है। तो आइए जानते हैं अयोध्या के दिवाली उत्सव के बारे में विस्तार से। 


क्यों अनूठा है अयोध्या का दीपोत्सव? 


अयोध्या का दीपोत्सव ना केवल दिवाली का मुख्य आकर्षण है। बल्कि, यह देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजनों में से भी एक बन चुका है। यह उत्सव हर साल दिवाली के अवसर पर सरयू नदी के किनारे मनाया जाता है। इस साल राम मंदिर के कारण इस दीपोत्सव का आयोजन और भी भव्य होने वाला है। 2024 के दीपोत्सव में लगभग 20 लाख से अधिक दीयों को जलाने की योजना बनाई है, जो पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ देगी। दीयों से सजी सरयू नदी का किनारा और मंदिर परिसर रातभर एक अद्भुत दृश्य पेश करेंगे, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

दीयों का यह आयोजन सिर्फ भौतिक रोशनी नहीं बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश भी पेश करती है।


रामायण के प्रसंगों की जीवंत प्रस्तुति


अयोध्या की दिवाली का एक विशेष हिस्सा रामलीला का आयोजन है। जिसमें भगवान राम के वनवास, रावण पर विजय और अयोध्या वापसी के प्रसंगों को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह पारंपरिक नाटक दोपहर में शुरू होकर शाम तक चलता है और इसके माध्यम से दर्शक भगवान राम के आदर्श जीवन और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में उनके चरित्र को समझ पाते हैं। देश-विदेश से प्रसिद्ध कलाकार इस रामलीला में भाग लेते हैं। जिससे, यह केवल एक नाटक नहीं बल्कि एक विशाल सांस्कृतिक उत्सव बन जाता है। प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री भी रामलीला का आनंद लेने और इसकी महत्ता को बढ़ाने के लिए हर साल इसमें शामिल होते हैं।


दीयों से सजते हैं घाट 


अयोध्या की दिवाली का सबसे आकर्षक हिस्सा राम की पैड़ी और सरयू नदी के घाटों पर जलते हजारों दीये हैं। घाटों को इस तरह से सजाया जाता है कि प्राकृतिक और धार्मिक सौंदर्य का अद्भुत संगम दिखता है। जब दीयों की अनगिनत कतारें सरयू नदी के पानी पर झिलमिलाती हैं, तो यह दृश्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है। इस बार राम मंदिर और आसपास के परिसर को भी रंग-बिरंगी लाइट्स और फूलों से सजाया जाएगा, जिससे पूरी अयोध्या नगरी एक जादुई नगरी की तरह लगेगी। यह अनुभव आपको एक अलग ही तरह की आध्यात्मिक शांति और आनंद प्रदान करेगा। 


आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम है अयोध्या


दीप-प्रज्ज्वलन कार्यक्रम के ठीक बाद भव्य आतिशबाजी का आयोजन होता है, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन जाता है। आतिशबाजी का यह भव्य नजारा दर्शकों का दिल जीत लेता है। यह अयोध्या की दिवाली को यादगार बनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। हालांकि, अयोध्या का दीपोत्सव केवल दीयों और आतिशबाजी तक ही सीमित नहीं है। यहां के भक्ति और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इसे खास बनाते हैं। राम कथा पार्क और सरयू घाट पर विशेष रूप से भजन, कीर्तन और शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भक्तों और पर्यटकों के लिए ये कार्यक्रम दिन-रात चलते हैं, जिसमें प्रसिद्ध कलाकार और संत हिस्सा लेते हैं।


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