बैठ के तु पिंजरे में,
पंछी काहे को मुसकाय,
हम सब है इस जग में कैदी,
तु ये समझ ना पाय ॥
भजन बिना चैन ना आये राम,
कोई ना जाने कब हो जाये,
इस जीवन की शाम ॥
बोलो राम राम राम ॥
मोह-माया की आस तो पगले,
होगी कभी ना पूरी,
करते-करते भजन प्रभु का,
मिट जायेगी दूरी,
हम दूरी के साथ-साथ लो,
सब ही प्रभु का नाम,
भजन बिना चैन ना आये राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
भजन है अमृत रस का प्याला,
शाम सवेरे पीना,
इसको पीकर सारा जीवन,
मस्ती में तू जीना
भक्ति कर तो बन जायेंगे,
अपने बिगड़े काम,
भजन बिना चैन ना आये राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
भजन बिना चैन ना आये राम,
कोई ना जाने कब हो जाये,
इस जीवन की शाम ॥
बोलो राम राम राम ॥
बोलो राम राम राम ॥
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह तिथि नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है।
मेरा संकट कट गया जी,
मेहंदीपुर के दरबार में,
मेरा श्याम बड़ा अलबेला,
मेरी मटकी में मार गया ढेला,
मेरा तो बस एक सहारा,
राम ए माँ,