Logo

क्या यमदेव की पूजा कर सकते हैं?

क्या यमदेव की पूजा कर सकते हैं?

इस विधि से करें यमदेव की पूजा, मृत्यु भय से मिल सकता है छुटकारा 


हिंदू धर्म में यमदेवता को मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है। यमराज या यमदेवता को संसार में मृत्यु के बाद आत्माओं का न्याय करने वाला देवता माना जाता है। वे पाताल लोक (नरक) के शासक हैं और मृत आत्माओं का मार्गदर्शन करते हैं। यमराज को यम, यमधर्मराज, और धर्मराज के नामों से भी जाना जाता है। वे ऋषि मरीचि के पुत्र और सूर्य देवता के भाई हैं। यमराज देवता का वाहन बैल है।


यमराज के साथ उनकी बहन यमुनाजी भी जुड़ी होती हैं, जो मृत्यु के बाद आत्माओं को शांति और मोक्ष दिलाने के लिए प्रकट होती हैं। हिंदू धर्म में यमराज का कार्य आत्माओं के कर्मों के आधार पर न्याय करना है, ताकि वे सुखी या दुखी जीवन के बाद अगले जन्म में नए शरीर में जन्म लें।


 पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु के समय यमराज से उनके प्राण वापस लेने के लिए संघर्ष किया और यमराज को विजय प्राप्त की। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में यम देवता की पूजा करने के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


यमदेव की पूजा के लिए सामग्री

 

यमदेवता की पूजा करने के लिए सामग्री के बारे में विस्तार से जान लें। 

  • दीपक
  • बत्ती
  • तेल
  • रोली
  • अक्षत
  • मिठाई
  • फूल
  • गंगाजल
  • नैवेद्य
  • पुष्पांजलि
  • कौड़ी


यमदेव की पूजा किस विधि से करें?


  • हिंदू धर्म में यमदेवता को मृत्यु के देवता हैं। उनकी पूजा करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति और पितृदोष से निवारण मिलता है। आइए इनकी पूजा विधि के बारे में विस्तार से जान लें। 
  • सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • एक पट्ट पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और उस पर एक दीपक रखें।
  • दीपक में तेल डालकर एक कौड़ी डालें और चार बत्तियां जलाएं। दीपक को रोली से तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं।
  • उसके बाद दीपक के चारों ओर तीन बार गंगाजल छिड़कें।
  • दीपक पर मिठाई या फल चढ़ाएं।
  • यमदेवता के मंत्र का जाप करें।
  • यमदेवता से अकाल मृत्यु से मुक्ति और पितृदोष से निवारण की प्रार्थना करें।
  • पूजा करने के बाद किसी ब्राह्मण को दक्षिणा दें।


यमदेवता की पूजा का महत्व क्या है?


यमराज या यमदेवता मृत्यु के देवता माने जाते हैं, और उनका संबंध जीवन के अंत, मृत्यु, और पापों के परिणामों से है। यमदेवता की पूजा करने से विशेष रूप से मृत्यु के बाद की अवस्था में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।  यमराज की पूजा से मृत्यु के समय के बारे में भय कम हो सकता है। यह विश्वास होता है कि यदि व्यक्ति नियमित रूप से यमराज की पूजा करता है, तो उसे मृत्यु के समय यमराज के दंड से बचाया जा सकता है। यमराज पापों और कर्मों के आधार पर मृत्यु के बाद न्याय करते हैं। यमदेवता की पूजा से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा आत्मा को शुद्ध करती है और अगले जन्म में अच्छे कर्मों का फल मिलता है। इतना ही नहीं,  यमराज की पूजा से कुलदेवता की कृपा भी प्राप्त होती है, जिससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इससे वंशवृद्धि और परिवार के लोगों की लंबी आयु का भी वरदान मिलता है। यमदेवता की पूजा करने के बाद दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

........................................................................................................
17 फरवरी 2025 का पंचांग

पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। वहीं आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर चित्रा नक्षत्र और शूल योग का संयोग बन रहा है।

2025 में कब है हनुमान जयंती

चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसी दिन माता अंजनी और वानरराज केसरी के घर बजरंगबली का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

कब है रामनवमी 2025

श्री राम का जन्म चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि के दिन अभिजित नक्षत्र में दोपहर बारह बजे के बाद हुआ था। इस दिन विधिपूर्वक भगवान राम की पूजा की जाती है। इसलिए, रामनवमी का दिन भगवान राम की पूजा के लिए समर्पित होता है।

रक्षाबंधन 2025 कब मनाया जाएगा

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। बहनें इस पर्व का सालभर बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन वे अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang