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क्यों झूठे मुंह मंदिर नहीं जाना चाहिए?

क्यों झूठे मुंह मंदिर नहीं जाना चाहिए?

झूठे मुंह मंदिर क्यों नहीं जाना चाहिए, जानें क्या कहता है शास्त्र


हमारे देश में एक पुरानी कहावत है, "झूठे मुंह मंदिर नहीं जाना चाहिए।" इसका मतलब है कि झूठन मूंह वाले को भगवान के मंदिर में नहीं जाना चाहिए। ये बात हमारी धर्म और संस्कृति से जुड़ी हुई है। जब हम मंदिर जाते हैं तो भगवान से मिलने जाते हैं। भगवान आस्था को बहुत पसंद करते हैं। इसलिए, जब हम झूठे मूंह से मंदिर जाते हैं तो एक तरह से भगवान के अनादर करने के समान है। आइए इस भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 



मंदिर है शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक 


"झूठे मुंह मंदिर नहीं जाना चाहिए" सत्य, शुद्धता और आंतरिक संतुलन को दर्शाता है। मंदिर में जाने से पहले, व्यक्ति को अपने मन और हृदय को शुद्ध करना चाहिए, ताकि वह भगवान के साथ वास्तविक बात कर सके और उसकी पूजा में पूर्णता आ सके। वहीं सत्य बोलना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानसिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भी आवश्यक है, क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में शांति और संतुलन लाता है। झूठ बोलने से मानसिक अशांति उत्पन्न होती है, जो पूजा और भक्ति के वास्तविक उद्देश्य को विघटित करती है।  इसलिए "झूठे मुंह मंदिर नहीं जाना चाहिए" जीवन में सत्यता और ईमानदारी की महत्व को समझाने के लिए है, ताकि व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक यात्रा में सफलता प्राप्त कर सके।



मंदिर में दर्शन करने का धार्मिक महत्व


मंदिर, धर्म और आस्था का केंद्र होते हैं। इनमें ईश्वर के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। मंदिर में दर्शन करने से भक्त ईश्वर के अधिक निकट महसूस करते हैं। यह एक ऐसा अनुभव है जो मन को शांत करता है और आत्मा को ऊर्जा प्रदान करता है। भक्तों का मानना है कि ईश्वर की कृपा से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।



मंदिर में जानें के नियम क्या हैं? 


  • मंदिर में जाने के कुछ विशेष नियम और व्यवहार होते हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी है। इन नियमों का पालन करने से न केवल हमारी पूजा सही तरीके से होती है, बल्कि ईश्वर की कृपा भी प्राप्त होती है। 
  • सबसे पहले मंदिर में जाने से पहले अपने शरीर को स्वच्छ रखें। गंदे कपड़े पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। सफ़ेद या हल्के रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
  • मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपने जूते और चप्पल बाहर ही छोड़ दें। यह धार्मिक आस्था और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
  • मंदिर के अंदर शोर-शराबा करना मना है। लोगों को शांति और ध्यान से पूजा करनी चाहिए। 
  •  मंदिर में पूजा करते समय, जो पूजा विधि और मंत्र होते हैं, उनका पालन करें। 
  • मंदिर में प्रसाद लेने से पहले हाथ धो लें। प्रसाद को श्रद्धा से ग्रहण करें, क्योंकि यह भगवान की कृपा का प्रतीक होता है।



मंदिर में जाने के दौरान किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?


मंदिर में प्रवेश करने के दौरान आप अपने आराध्य के मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। इससे भक्तों पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। 

  • ऊं नमः शिवाय
  • ऊं गण गणपतये नमः
  • ऊं श्री राम जय राम जय जय राम
  • ऊं श्री कृष्णाय नमः
  • ऊं ह्लीं क्लीं महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्"
  • ऊं दुं दुर्गायै नमः
  • ऊं शांतिः शांतिः शांतिः


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शिव पूजा विधि

सर्वप्रथम पहले की तरह आचमन कर पवित्री धारण करे। अपने ऊपर और पूजा-सामग्री पर जल का प्रोक्षण करे।

मां दुर्गा पूजा विधि

पहले बतलाये नियमके अनुसार आसनपर प्राङ्घख बैठ जाय। जलसे प्रोक्षणकर शिखा बाँधे ।

एकादशी पूजन विधि (Ekadashi Poojan Vidhi )

एकादशी पूजन में विशेष तौर से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है इस दिन पवित्र नदी या तालाब या कुआं में स्नान करके व्रत को धारण करना चाहिए

करवा चौथ पूजा विधि (Karva Chauth Pooja Vidhi )

यह व्रत अति प्राचीन है। इसका प्रचलन महाभारत से भी पूर्व का है। यह व्रत सौभाग्यवती महिलाओं के लिए उत्तम माना गया है।

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