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गोमूत्र पवित्र क्यों माना जाता है?

गोमूत्र पवित्र क्यों माना जाता है?

जानिए गोमूत्र को पवित्र क्यों माना जाता है, सूर्यकेतु नाड़ी से जुड़ा है इसका महत्व 


गोमूत्र को ना केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना गया है। गोमूत्र में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो मानव शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए उपयोगी होते हैं। हालांकि, सभी गायों का गोमूत्र पवित्र नहीं माना गया है केवल कामधेनु गाय का गोमूत्र ही पवित्र माना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, कामधेनु गाय का गोमूत्र ही शुद्ध और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। पहले समय में गाय को किसान का परम साथी माना जाता था। तो आइए इस आलेख में गौमूत्र के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


गाय के अपशिष्ट भी हैं उपयोगी 


गाय ना केवल दूध देती थी, बल्कि उसका गोबर खेती के लिए जैविक खाद के रूप में उपयोगी था। इसके अलावा, गोमूत्र का उपयोग औषधि और धार्मिक कार्यों में किया जाता था। हालांकि, आधुनिक समय में किसानों के घरों में गायों की संख्या कम होती जा रही है, और उनके स्थान पर हाइब्रिड गायों ने ले लिया है। इन नस्लों की गायों के पदार्थों में उतने औषधीय गुण नहीं पाए जाते हैं।


सूर्यकेतु नाड़ी का महत्व


गाय के शरीर में सूर्यकेतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है, जो इसे अन्य पशुओं से अलग बनाती है। ऐसा माना जाता है कि यह नाड़ी सूर्य की सकारात्मक किरणों को ग्रहण करती है और उन्हें गाय के दूध और गोमूत्र में परिवर्तित कर देती है। यह किरणें स्वर्ण तत्व में बदल जाती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती हैं। गाय के शरीर में यह प्रक्रिया ना केवल इसे पवित्र बनाती है, बल्कि इसके आसपास की ऊर्जा को भी सकारात्मक बनाती है। यही कारण है कि जिस स्थान पर गाय रहती है, वहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।


गोमूत्र के औषधीय गुण


गोमूत्र को एक औषधि के रूप में भी माना गया है। इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, अमोनिया और फॉस्फेट जैसे कई तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। वहीं, कई शोधों में यह पाया गया है कि गोमूत्र के नियमित सेवन से कई प्रकार की बीमारियां दूर हो सकती हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण इसे पारंपरिक चिकित्सा में जड़ी-बूटी के रूप में उपयोग किया जाता है।


धार्मिक और वास्तु उपाय में गोमूत्र का उपयोग


धार्मिक और वास्तु शास्त्र में गोमूत्र को विशेष स्थान दिया गया है। इसे नकारात्मक ऊर्जा और ऊपरी शक्तियों को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।


  • नेगेटिव एनर्जी को दूर करना: अगर किसी घर में नकारात्मक ऊर्जा है, तो रोज सुबह-शाम गंगा जल में गोमूत्र मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
  • वास्तु दोष का निवारण: अगर घर में वास्तु दोष है या किसी ने बुरी नजर डाली है, तो वहां गोमूत्र का छिड़काव करने से यह समस्या समाप्त हो जाती है।
  • राहु दोष का उपाय: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु अशुभ स्थान पर है, तो रोज पानी में गोमूत्र की कुछ बूंदें मिलाकर नहाने से राहु का दोष कम हो सकता है।
  • ऊपरी शक्ति से बचाव: अगर किसी व्यक्ति पर बुरी शक्ति का प्रभाव है, तो उस पर गोमूत्र छिड़कने या गोमूत्र का तिलक लगाने से यह प्रभाव समाप्त हो सकता है।
  • गृह प्रवेश में उपयोग: नए घर में प्रवेश करने से पहले वहां गोमूत्र का छिड़काव करने से सभी प्रकार के दोषों का निवारण हो जाता है।


पर्यावरण के लिए भी उपयोगी है गौमूत्र


गोमूत्र केवल धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं में ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और औषधीय दृष्टि से भी अत्यधिक उपयोगी है। इसमें मौजूद तत्व न केवल स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी शुद्ध करते हैं। गोमूत्र के औषधीय गुणों और धार्मिक महत्व को देखते हुए इसका उपयोग आज भी कई क्षेत्रों में किया जाता है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली और औद्योगिक विकास ने इसके महत्व को कुछ हद तक कम कर दिया है। ऐसे में हमें इसके उपयोग और लाभों को समझकर इसे अपनी संस्कृति और जीवन में फिर से अपनाना चाहिए।


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