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बंजारी माता मंदिर, छत्तीसगढ़ (Banjari Mata Temple, Chhattisgarh)

बंजारी माता मंदिर, छत्तीसगढ़ (Banjari Mata Temple, Chhattisgarh)

रायगढ़ से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर है बंजारी माता का मंदिर। पिछले कई सालों से आस्था केंद्र रहे इस मंदिर की भव्यता दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इस मंदिर के आसपास अन्य देवी देवताओं के भी मंदिरों का निर्माण किया गया है एवं एक सुंदर गार्डन के साथ ही तालाब भी है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां मंदिर के दर्शन करने के साथ ही इस स्थान की सुंदरता का आनंद लेने भी यहां पहुंचते हैं। बंजारी माता मंदिर राजगढ़ शहर के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। ये एक धार्मिक और पवित्र मंदिर है जो देवी बंजारी को समर्पित है। राजगढ़ शहर का छत्तीसगढ़ राज्य में एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व है। आधुनिक रायगढ़ को सांस्कृतिक और साथ ही छत्तीसगढ़ की आधुनिक राजधानी के रुप में माना जाता है। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति बंजारा जाति के लोगों की कुलदेवी मानी जाती है।


बंजारा मंदिर का इतिहास


करीब 500 साल पहले मुगल शासकों के शासन काल में यहां छोटा सा मंदिर हुआ करता था, जो करीब 40 साल पहले भव्य मंदिर के रुप में प्रतिष्ठापित हुआ। बंजर धरती से प्रकट होने के कारण माता की प्रतिमा बंजारी देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई। देशभर में घूमने वाले बंजारा जाति के लोगों की कुल देवी बंजारा माता को माना जाता है। समय बीतने पर इस मंदिर का नाम बंजारी मंदिर पड़ गया। लेकिन यहां स्थित बंजारी माता की ये मूर्ति बगुलामुखी रुप में होने के कारण तांत्रिक पूजा के लिए विशेष मान्यता इस मंदिर में स्वर्ग नरक के सुख एवं यातना को विविध मूर्तियों एवं पेंटिंग के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां ट्रस्ट समिति ने इंडिया गेट की तर्ज पर अमर जवान जोत प्रज्वलित की है। ट्रस्ट के नेतृत्व में संचालित गुरुकुल स्कूल के विद्यार्थी अमर जवान जोत में समक्ष सलामी देते हैं। भक्त भी इस जोत पर सलामी देने के बाद मंदिर में प्रवेश करते हैं।


पौराणिक कथा


क्षेत्र की पौराणिक कथाओं के अनुसार, शक्ति के एक उत्साही भक्त हरीश जोशी ने बंजारी माता जैसी दिखने वाली एक चट्टान पकड़ी थी। पुजारी ने चट्टान का उद्घाटन किया और स्थानीय लोग नियमित रुप से देवता की पूजा करते थे। नवरात्रि के दिनों में मंदिर में बहुत सारे भक्तों की भीड़ होती है और कुछ लोग दशहरा भी कहते हैं। सिंदूर से सुशोभित मुख बाहर दिखाई देता है। दोनों देव प्रतिमाओं पर सिंह की मूर्तियां दृष्टिगोचर होती हैं। मंदिर परिसर के भीतर उप-मंदिर है जो भगवान विष्णु, भगवान शिव, श्री राम, गणेश, हनुमान जी आदि के हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए दोहरे प्रवेश मार्ग हैं। सयाना मंडप गर्भ गृह के अंदर स्थित है। मंदिर के अंदर पवित्र पेड़ों को नारियल और अन्य सामग्रियों से बांधा जा सकता है, और यह माना जाता है कि उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी।


स्वर्ग-नरक की झांकी


मंदिर परिसर में स्वर्ग-नरक की झांकी आकर्षण का केंद्र है। स्थायी रुप से बनाई गई झांकी में दिखाया गया है कि अच्छे कर्म करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और बुरे कर्म करने से नरक की यातना झेलनी पड़ती है। यातना की झांकी में यमदूतों द्वारा दिये जाने वाले कष्टों को चित्रित किया गया है। यहां बनी झांकी श्रद्धालुओं को अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देती है।


नाग-नागिन के जोड़े आते है मां का आशीर्वाद लेने


बंजारी माता के मंदिर में सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि मां से आशार्वाद लेने नाग-नागिन का जोड़ा भी आता है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि वो अपने बचपन से माता पिता के साथ मंदिर की देखरेख कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह लोग यहां अपनी मुराद पूरी करने के लिए आते हैं, वैसे ही नाग नागिन का जोड़ा भी आता है। पहले केवल एक या दो सांप के जोड़े ही यहां आया करते थे, लेकिन अब इनकी संख्या में भी धीरे-धीरे बढ़ोतरी होती जा रही है।


मंदिर का समय


बंजारी माता मंदिर सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है। मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है।


बंजारी माता मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - बंजारी माता मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा रायपुर है, जो बंजारा माता मंदिर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है। यहां से आप टैक्सी लेकर सीधे मंदिर पहुच सकते हैं।


रेल मार्ग - मंदिर के लिए जांजगीर-चांपा रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से आप टैक्सी या बस से मंदिर पहुंच सकते हैं।


सड़क मार्ग - बंजारी माता मंदिर, जांजगीर-चांपा जिले के नजदीक स्थित है। मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। यहां से आप टैक्सी, ऑटो रिक्शा या बस से आसानी से पहुंच सकते हैं।


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