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केदारनाथ डोली यात्रा महत्व

केदारनाथ डोली यात्रा महत्व

Kedarnath Doli Yatra: केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले क्यों निकाली जाती है डोली यात्रा? जानें इसका महत्व


हर शिव भक्त के लिए केदारनाथ धाम की यात्रा जीवन का एक महत्वपूर्ण सपना होती है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। माना जाता है कि बाबा केदार के दर्शन मात्र से सभी दुख-दर्द मिट जाते हैं और भगवान शिव विशेष कृपा बरसाते हैं साथ ही, भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। बाबा केदारनाथ के कपाट खुलने से पहले हर साल डोली यात्रा भी निकाली जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं...


डोली उत्सव केदारनाथ मंदिर से जुड़ी परंपरा 

इस साल यानी 2025 में केदारनाथ मंदिर के कपाट 2 मई को खोले जाएंगे। कपाट खुलने से पहले खास परंपराएं निभाई जाती हैं। सबसे पहले बाबा भैरवनाथ की पूजा होती है, क्योंकि उन्हें केदारनाथ धाम का रक्षक माना जाता है। इसके बाद केदारनाथ की पंचमुखी डोली (पांच मुख वाली डोली) को ऊखीमठ से केदारनाथ धाम तक ले जाया जाता है। डोली के धाम पहुंचने के बाद अगले दिन विधिवत पूजा-अर्चना कर कपाट भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।


क्या है पंचमुखी डोली की खासियत?

जब सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, तब बाबा केदार की भोगमूर्ति को ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर ले जाया जाता है। यह मूर्ति पंचमुखी डोली में विराजमान होती है। पंचमुखी डोली में भगवान केदारनाथ की चांदी की मूर्ति रहती है। इस मूर्ति की छह महीने तक ऊखीमठ में पूजा होती है और फिर जब गर्मियों में कपाट खुलते हैं, तो डोली वापस केदारनाथ धाम पहुंचाई जाती है। इस प्रक्रिया के साथ भक्तों को बाबा केदार के दर्शन का सौभाग्य मिलता है।


चारधाम यात्रा 2025 का शेड्यूल

सिर्फ केदारनाथ ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के चारों पवित्र धाम - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन भी श्रद्धालुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस साल 30 अप्रैल 2025 को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट सबसे पहले खोले जाएंगे। इसके बाद 2 मई 2025 को केदारनाथ और 4 मई को बद्रीनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।


आपको बता दें कि चारधाम यात्रा में सबसे पहले यमुनोत्री की यात्रा शुरू होती है, फिर गंगोत्री, फिर केदारनाथ और आखिर में बद्रीनाथ के दर्शन किए जाते हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु इन चारों धाम की यात्रा करके अपने जीवन को धन्य बनाते हैं।


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हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिन बड़े पवित्र माने गए हैं, जिसमें नौ दिनों को बहुत पवित्र और विशेष माना जाता है। नवरात्रि एक साल में चार बार पड़ती है। जिसमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है, और दो गुप्त नवरात्रि।

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शुक्रोदय से नवरात्रि में विशेष संयोग

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को धन, समृद्धि, प्रेम और भौतिक सुखों का कारक माना जाता है। इसका गोचर और स्थिति सभी राशियों को प्रभावित करती है। शुक्र अभी मीन राशि में है, लेकिन 17 मार्च को अस्त हो जाएगा और 23 मार्च को फिर से उदय होगा।

मत्स्य जयंती कब मनाई जाएगी

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